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इमारती लकड़ियों से धधक रहे ईट्टो के भट्टे

 


रिपोर्ट @मिर्जा अफसार बेग 

मामला राष्ट्रीय उद्यान बांधवगढ़

उमरिया --- विश्व भर में बहुप्रसिद्ध बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान के धमोखर रेंज की सीमा से लगे गांवों में आज भी विभाग अंधेरे गर्दी का आलम के दल दल में फंसा नजर आ रहा है ।एक तो जंगली जानवरों की मौत के कारण देश भर में  बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान की  थू  - थू हों रहीं हैं, फिर भी राष्ट्रीय उद्यान के -कतिपय अधिकारियो का जी नहीं भरा और नित नई कारगुजारियों को अंजाम दे राष्ट्रीय उद्यान की अविरल छबि को दागदार बनाने से बाज नहीं आ रहे हैं । एक ऐसे ही मामले का उजागर धमोखर वन परिक्षेत्र के सकरिया ग्राम में देखने में आया है । बताया जाता है कि इस गांव के लोगों के व्दारा ईंट व्यवसाय को  अपनाकर चांदी काट रहे हैं। ईंट व्यवसायी ईंट के भट्टों में खुलेआम इमारती लकड़ियों का प्रयोग किया जा रहा है । जानकार सूत्रों का मानना है कि यह व्यवसाय यहां पर पदस्थ उप वन परिक्षेत्र अधिकारी की मिलीभगत से हो रही है । 


विदित होवे कि एक तरफ राष्ट्रीय उद्यान की सीमा को बढ़ाने, वन्य प्राणियों के लिए लिए पर्याप्त वन कों दृष्टि गत करते हुए उसकी सीमा को बढ़ाने के लिए गांवों का विस्थापन का काम किया जा रहा है, वही पर पार्क के इन जिम्मेदारो की मिलीभगत से वनों का विदोहन किया जा रहा है ।उप वन परिक्षेत्र अधिकारी की कार्य शैली इसके पहले भी चर्चित रही है,जब इनके व्दारा घरेलू नुस्खे जानवरों के शिकार होने की एवज में ग्रामीणों को मिलने वाले मुआवजा के फलस्वरूप इन्हें चढ़ावा में नजराना वसूली की जाती रही , मनमाफिक चढ़ावा न देने वाले लोगों को इससे वंचित रहना पड़ता था , जिसकी शिकायत भी की गयी थी , लेकिन इनके ऊपर वैधानिक कार्यवाही नहीं होने के कारण इनका जलवा बरकरार रहा और अब यह अधिकारी जंगल का भी सौदा करने लगे । सकरिया ग्राम में धधकते भटटे उसी की मिशाल बन गये। इस संदर्भ में बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान के डायरेक्टर डां अनुपम सहाय से चर्चा करने पर आपने जांच करा कार्यवाही का आश्वासन दिया है , देखना लाजिमी होगा कि इस गंभीर मुद्दे पर विभागीय अधिकारियों के व्दारा मुकव्वल कार्यवाही करते हैं कि मामले को फिर रफा दफा कर गुनाह गारो को बचाने में कामयाब हो जाते हैं । इस मामले में उप संचालक प्रकाश वर्मा से बात की गयी तों उन्होंने मामले की जांच कराने का भरोसा दिलाया ।


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