रिपोर्ट @मिर्जा अफसार बेग
शाम ढलते ही शहडोल का बाण गंगा मेला मैदान हो जाता है रंगीन,
अश्लील नाच गाना और स्तरहीन सांस्कृतिक कार्यक्रम से होती रही है मेला के ठेकेदारों की थू थू।
आपको बता दे की बाण गंगा शहडोल के मेला का ठेका 15 लाख रुपए का हुआ है जबकि प्रस्तुत किए जा रहे कार्यक्रमों का स्तर निम्न है स्थानीय लोगों ने मेला के ठेकेदारों पर मेला में आए व्यापारियों और स्थानीय लोगों के साथ धोखा कर माल डकारने की बात कही है।
बार-बार न्यूज़ पेपर और न्यूज़ चैनलों में खबर छपने के बाद भी बाण गंगा मेला मैदान में अश्लील नृत्य को रोकने की बजाय विवादित ग्रुप को जो हर साल अश्लील नाच गाने का प्रदर्शन करता है उसे ही प्राथमिकता दी जा रही है। आख़िर इसकी वजह क्या है। जब की लोकल कलाकरों को मंच नहीं दिया जा रहा है।
बाणगंगा मेला मैदान का सांस्कृतिक मंच स्थानीय कलाकारों के लिए एक बड़ा मंच है हमारे स्थानीय कलाकार भी राष्ट्रीय स्तर और राज्य स्तर पर अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं पर नगर पालिका परिषद शहडोल के द्वारा उन्हें अपनी प्रतिभा को दिखाने का मंच नहीं दिया जा रहा है।
इस वर्ष प्रस्तुत किए जा रहे हैं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का स्तर भी निम्न है। कार्यक्रमों को देखने के बाद दर्शक काफी असंतुष्ट नजर आ रहे हैं। जबकि पूर्व से लगभग डेढ़ गुने रेट पर बाण गंगा मेला का टेंडर हुआ है।
अनावश्यक बड़ा डोम पंडाल लगा देने से बाण गंगा मेला मैदान की पूरी सुंदरता ही खत्म हो गई है आखिर बिना सोचे समझे ऐसे निर्णय क्यों लिए गए जिसमें इस ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक बाण गंगा मेला के परिचय में ही प्रश्न चिन्ह लग जाए।
और हमारे शहडोल जिले की ऐतिहासिक धार्मिक एवं पुरातात्विक धरोहर विराट मंदिर को ही इस बार नहीं सजाया गया वहां एक भी लाइट नहीं लगाई गई इस मेले की धूमधाम में एक किनारे विराट मंदिर अंधकार में लोगों से यह चीख चीख कर कह रहा है कि मेरी वजह से यह मेला लगा हुआ है पर मैं ही अंधकार में हूं।कहीं ऐसा तो नहीं है की बाण गंगा मेला भी कमीशन खोरी की भेंट चढ़ गया हो।
अब हकीकत जो भी हो पर नगर पालिका परिषद शहडोल के उच्च अधिकारियों जनप्रतिनिधियों को बाणगंगा मेला से जुड़ी लोगों की आस्था धार्मिकता ऐतिहासिकता एवं पुरातात्विक महत्व को समझकर कदम उठाना चाहिए।
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