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साइकिल से जुड़ी एक मिसाल: शहडोल के 'खान सर'—जिन्हें देख हर कोई कह उठता है, 'साइकिल मतलब खान सर'

 


रिपोर्ट @मिर्जा अफसार बेग

विश्व साइकिल दिवस

साइकिल से जुड़ी एक मिसाल: शहडोल के 'खान सर'—जिन्हें देख हर कोई कह उठता है, 'साइकिल मतलब खान सर'

शहडोल :- अंतर्राष्ट्रीय साइकिल डे शहडोल शहर की पहचान बन चुके एम.ए. खान, जिन्हें शहर का बच्चा-बच्चा 'खान सर' के नाम से जानता है, आज भी 75 की उम्र में साइकिल से चलते हैं और लोगों के लिए प्रेरणा बने हुए हैं। साइकिल से उनका रिश्ता ऐसा है कि जब भी कोई साइकिल देखता है, सबसे पहले खान सर का नाम याद आता है।

पुलिस लाइन स्थित शासकीय विद्यालय में लंबे समय तक पीटीआई शिक्षक के रूप में सेवाएं देने वाले खान सर बच्चों को न केवल शारीरिक शिक्षा बल्कि अंग्रेजी विषय की भी पढ़ाई कराते रहे। अनुशासन,  और फिटनेस के प्रतीक खान सर आज भी प्रतिदिन 15 किलोमीटर साइकिल चलाते हैं, साथ ही 10-15 किलोमीटर पैदल भी चलते हैं। उनकी दिनचर्या में बागवानी, व्यायाम और समय का कठोर पालन शामिल है। खान सर ने 1975 में पहली बार साइकिल चलाना शुरू किया और तब से लेकर आज तक उनका यह सफर अनवरत जारी है। इतने वर्षों में उन्होंने सिर्फ दो साइकिलें बदलीं। पहली साइकिल अपने मित्र को दे दी थी और दूसरी पर आज भी शहर की गलियों में घूमते दिखाई देते हैं। वे हँसते हुए कहते हैं, "साइकिल ने कभी हमें नहीं छोड़ा, और हमने भी साइकिल को नहीं छोड़ा।"
  
खान सर के अनुशासन का   आलम यह था कि वे अपने स्कूल और अन्य कार्यों में कभी देर से नहीं पहुंचे। उनके समय पालन को देखकर लोग अपनी घड़ी तक मिलाते थे। वरिष्ठ अधिकारी भी मजाक में कहते थे कि, "अगर कभी साइकिल पंचर हो जाए तभी शायद खान सर देर से पहुंचें।" शायराना अंदाज और देशभक्ति का जज़्बा खान सर का अंदाज भी निराला है। वे हर मिलने वाले को व्यायाम, साइकिल चलाने और स्वास्थ्य के प्रति सजग रहने की सलाह देते हैं। उनका शायराना अंदाज लोगों को बेहद पसंद आता है। अक्सर कहते हैं  "साइकिल चलाने की जब ठान लेंगे, 80 के होंगे तब भी शान से चलाएंगे!"

उनकी देशभक्ति की भावना, स्वास्थ्य के प्रति गहरी लगन, और हर समय सूट-बूट में दिखने वाला अंदाज शहर के हर वर्ग में सम्मान अर्जित करता है।

आज साइकिल डे पर उन्हें शहर का सलाम

आज साइकिल डे के मौके पर खान सर को शहर की जनता उनके समर्पण, अनुशासन और प्रेरणादायक जीवन के लिए सादर नमन कर रही है। उनकी सादगी और सक्रियता हर किसी को यह सिखाती है कि जीवन में ऊर्जा उम्र से नहीं, विचारों से आती है।


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