रिपोर्ट @मिर्जा अफसार बे
उमरिया— जिले में गंगा-जमुनी तहज़ीब की एक और मिसाल पेश करते हुए हिंदू मुस्लिम एकता मंच ने ईद-उल-अज़हा के पावन अवसर पर ईदगाह पहुंचकर समस्त जिलेवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित कीं। इस अवसर पर मंच के पदाधिकारियों ने साम्प्रदायिक सौहार्द और सामाजिक एकता का संदेश देते हुए जिले के सभी प्रशासनिक अधिकारियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया। ईदगाह में सुबह से ही ईद-उल-अज़हा की नमाज के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ा। नमाज अदा करने के पश्चात हिंदू मुस्लिम एकता मंच के सदस्यों ने वहां पहुंचकर सभी को ईद-उल-अज़हा की मुबारकबाद दी। मंच के कार्यकर्ताओं ने जिले के वरिष्ठ अधिकारियों — जैसे कि अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, नगर पालिका परिषद उमरिया के सीएमओ, बांधवगढ़ के एसडीओपी, बांधवगढ़ उमरिया के तहसीलदार, थाना प्रभारी उमरिया सहित समस्त पुलिस बल का पुष्पगुच्छ व माला पहना कर आत्मीय स्वागत किया।
*साम्प्रदायिक सौहार्द का प्रतीक बना ईदगाह परिसर*
ईदगाह परिसर में मौजूद सभी लोगों ने हिंदू मुस्लिम एकता मंच की इस पहल की सराहना की। जहां एक ओर मुस्लिम समुदाय ने मंच के सदस्यों को गर्मजोशी से स्वागत किया, वहीं हिन्दू समाज के लोगों ने भी खुले दिल से भागीदारी निभाई। इस कार्यक्रम ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि उमरिया जिला आपसी भाईचारे और सामाजिक समरसता का प्रतीक है।
मंच के संस्थापक मो. असलम शेर ने कहा कि हमारा उद्देश्य केवल त्योहारों की बधाई देना नहीं, बल्कि समाज में हर वर्ग, हर धर्म और हर जाति के बीच भाईचारे की भावना को मजबूत करना है। ईद-उल-अज़हा बलिदान, समर्पण और सेवा का पर्व है— और यही भावना हमें हर दिन अपनानी चाहिए। आज ईदगाह में उपस्थित प्रशासनिक अधिकारियों का सम्मान करके हमने यह संदेश देने का प्रयास किया है कि शासन और जनता के बीच तालमेल व आपसी सम्मान बना रहना चाहिए। असलम शेर ने आगे कहा कि हमारा मंच गरीबों, मजलूमों, विद्यार्थियों और बेसहारा लोगों की सेवा के लिए निरंतर प्रयासरत है। हम धर्म से ऊपर उठकर मानवता की सेवा में विश्वास रखते हैं।
इसके पश्चात मंच के जिला संयोजक राजेंद्र कोल ने कहा कि आज जब देश और समाज कई बार साम्प्रदायिक तनावों से जूझता है, तब हमारे जैसे छोटे जिलों से अगर भाईचारे और सौहार्द का संदेश जाए तो यह पूरे देश के लिए एक सकारात्मक उदाहरण बन सकता है।
*हिंदू मुस्लिम एकता मंच' द्वारा बकरीद के अवसर पर आयोजित यह आयोजन केवल एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह सामाजिक समरसता, धार्मिक सौहार्द और मानवीय मूल्यों की अभिव्यक्ति थी। ईदगाह में प्रशासन और आम जनता के साथ मंच के कार्यकर्ताओं का यह मिलन, उमरिया जिले की सकारात्मक सोच और एकजुटता का जीवंत उदाहरण बन गया।*
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