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संयुक्त संचालक की रिपोर्ट के बाद भी कार्यवाही शून्य - धनपुरी नगर पालिका

 


👉 तीन तीन IAS अधिकारीयों के प्रतिवेदन फाइलों में धूल चाट रहे।

👉 अब खुद के विभाग के संयुक्त संचालक के द्वारा सौंपी गई विस्तृत रिपोर्ट में भ्रष्टाचार एवं अनियमितताओं के गंभीर आरोप एक बार फिर हुए प्रमाणित ।

👉 IAS जांगीड़ के बाद IAS मीणा का जांच प्रतिवेदन सामने आने के बाद भी भ्रष्टाचारी प्रभारी सीएमओ को मिल रहा जिम्मेदारों का संरक्षण।

👉 दो दो आईएएस अधिकारियों की प्रमाणित जांच रिपोर्ट के बाद भी कार्यवाही शून्य।

👉 भ्रष्टाचारी प्रभारी CMO को कौन दे रहा है संरक्षण ?

👉 क्या आने वाले चुनावों में जनता देगी जवाब या धनपुरी की जनता बनी रहेगी तमाशबीन ?

👉 यदि कार्यवाही नहीं हुई तो हम न्यायालय के समक्ष जाने पर विचार करेंगे - शैलेंद्र श्रीवास्तव

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नगर पालिका परिषद धनपुरी में हो रही अनियमितताओं एवं भ्रष्टाचार के संबंध में आई.ए.एस. अधिकारी एस.डी.एम. शेर सिंह मीणा के प्रमाणित जांच प्रतिवेदन  के बाद अब संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग का जांच प्रतिवेदन भी सार्वजनिक हो चुका है जिसमें एक बार फिर नगर पालिका परिषद धनपुरी में दशकों से अपने मैनेजमेंट के दम पर पदस्थ प्रभारी मुख्य नगरपालिका अधिकारी रविकरण त्रिपाठी पर भ्रष्टाचार एवं अनियमितताओं के गंभीर आरोप प्रमाणित पाए गए हैं।

इसके पहले भी प्रभारी मुख्य नगरपालिका अधिकारी रविकरण त्रिपाठी पर कई बार भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं एवं प्रमाणित भी पाए गए हैं। इसके बावजूद उन पर किसी प्रकार की कोई ठोस कार्यवाही नहीं होना और बार-बार जांच करने वाले अधिकारियों को ही स्थानांतरित किया जाना सिस्टम में व्याप्त भ्रष्टाचार को साफ तौर पर उजागर करता है।

आईएएस अधिकारी एस.डी.एम. श्री शेर सिंह मीणा के जांच प्रतिवेदन के बाद अब संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग द्वारा कमिश्नर शहडोल को सौंपी गई रिपोर्ट में यह स्पष्ट है कि नगर पालिका परिषद धनपुरी में भारी अनियमितताएं की जा रही है।

प्रतिवेदन में साफ साफ लिखा है कि - नियमानुसार नगरपालिका धनपुरी द्वारा एक लाख से कम राशि की सामग्री एक माह में अधिकतम दो बार क्रय की जा सकती है, जबकि 20,000 से कम लागत की सामग्री एक माह में अधिकतम 5 बार क्रय की जा सकती है। किंतु प्रभारी मुख्य नगरपालिका अधिकारी श्री रविकरण त्रिपाठी द्वारा जनवरी 2021 से जून 2021 के बीच नियमों को अनदेखा करते हुए एक करोड़ 70 लाख रुपए की सामग्री क्रय कर अनियमितताएं की गई।

जो कि मध्य प्रदेश विनिर्दिष्ट भ्रष्ट आचरण निवारण अधिनियम 1982 के नियम 3 के तहत दंडनीय अपराध है एवं मध्य प्रदेश भंडार क्रय नियम तथा सेवा उपार्जन नियम 2015 के तहत वित्तीय अनियमितताओं की श्रेणी में आता है। 

साथ ही जांच प्रतिवेदन में इस बात का भी उल्लेख है कि इन सभी खरीद फरोख्त एवं भुगतान के लिए कोई अनुमोदन प्रशासक से नहीं लिया गया, जिससे स्पष्ट तौर पर मध्यप्रदेश क्रय नियमों का उल्लंघन होता है।

प्रतिवेदन में दैनिक मस्टर पर रखे गए मस्टर कर्मचारियों की भर्ती में भी अनियमितताओं को उजागर किया गया है। रिपोर्ट बताती है कि नगर पालिका धनपुरी द्वारा दैनिक मस्टर पर 325 लोगों को जनवरी से मई बीच रखा गया।

जबकि संयुक्त संचालक व सक्षम अधिकारी द्वारा कोविड-19 महामारी को दृष्टिगत करते हुए 45 श्रमिकों को ही रखने की स्वीकृति प्रदान की गई थी। इस प्रकार बाकी के श्रमिकों को रखने के लिए प्रशासक व सक्षम अधिकारी से किसी प्रकार का अनुमोदन नहीं लिया गया और इस प्रकार जरूरत से ज्यादा दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों को रखकर शासन की राशि का लगातार दुरुपयोग किया जाता रहा। 

परन्तु हैरानी की बात है कि दो - दो आईएएस अधिकारियों की प्रमाणित जांच रिपोर्ट के बाद अब खुद के विभाग के संयुक्त संचालक का प्रतिवेदन सामने आने के बाद भी कार्यवाही आज भी शून्य बटे सन्नाटा ही है। जांच के नाम पर मामले को ठंडे बस्ते में डालने का जिम्मेदारों का प्रयास जारी है। ऐसे में जनता और आम जनमानस के मन में यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिर कौन है जो नहीं चाहता कि सामने आए धनपुरी नगरपालिका में चल रहे भ्रष्टाचार एवं अनियमितताओं का पूरा सच ?

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नगर पालिका परिषद धनपुरी में व्याप्त भ्रष्टाचार एवं अनियमितताओं के खिलाफ लगातार लड़ाई लड़ रहे भाजपा नेता शैलेंद्र श्रीवास्तव ने कहा है कि अब दूध का दूध और पानी का पानी हो चुका है, इसके बाद भी कार्यवाही का शून्य होना हमारे सिस्टम में दीमक की तरह व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करता है। भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारी लड़ाई जारी है हम न्यायालय की शरण में जाने पर भी विचार कर रहे हैं।

शैलेन्द्र श्रीवास्तव

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