रिपोर्ट @मिर्जा अफसार बेग
उमरिया - ग्राम पंचायत भरेवा, जनपद पंचायत- मानपुर, जिला उमरिया का मुक्तिधाम आज अत्याधिक जर्जर स्थिति में है। यह पवित्र स्थल, जो अंतिम यात्रा का प्रतीक है, आज गंदगी, झाड़ियों और सरपंच की उदासीनता का शिकार हो गया है। यह कहना है गलत नहीं होगा कि सरपंच ने मुक्तिधाम की देखरेख और सुधार की जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लिया है। इस स्थिति ने न केवल धार्मिक स्थल की गरिमा को ठेस पहुंचाई है, बल्कि ग्रामवासियों की असुविधा और आक्रोश को भी बढ़ा दिया है।
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1. ग्राम भरेवा मुक्तिधाम की वर्तमान स्थिति झाड़ियों और गंदगी का अम्बार।
*ग्राम भरेवा का मुक्तिधाम आज अत्यंत दयनीय स्थिति में पहुंच चुका है जिसका जिम्मेदार कौन*
संरचना जर्जर मुक्तिधाम का मुख्य प्रवेश द्वार झाड़ियों से भरा हुआ है, और मुक्तिधाम के शेड के अंदर बने चबूतरे पूरी तरह से क्षति ग्रस्त हो चुके है।
झाड़ियों का अतिक्रमण चारों ओर झाड़ियों ने पूरे क्षेत्र को घेर लिया है, जिससे यह असुरक्षित हो गया है। गंदगी का ढेर इलाके में कचरे का अंबार लगा हुआ है, जो पवित्र स्थल की गरिमा को ठेस पहुंचा रहा है। बारिश के समय स्थिति अति विकराल बारिश के दौरान झाड़ियों और गंदगी की समस्या और बढ़ जाती है, जिससे अंतिम संस्कार करना मुश्किल हो जाता है, जिस पर सरपंच की नाकामी साफ देखी जा सकती है। ग्रामीण वासियों का कहना है कि यहां की दुर्दशा से उनके धार्मिक और सामाजिक कर्तव्यों का निर्वाह करना भी कठिन हो गया है।
*सरपंच की लापरवाही से बढ़ी समस्याओं की अनदेखी का शिकार हुआ मुक्तिधाम*
ग्रामीण वासियों का आरोप है कि सरपंच इस संवेदनशील स्थल की सुध नहीं ली। जिसका आज ग्राम पंचायत भरेवा मुक्तिधाम जीता जागता उदाहरण बन चुका है ।ग्राम पंचायत की निष्क्रियता पंचायत ने मुक्तिधाम की सफाई या मरम्मत के लिए कोई ठोस योजना नहीं बनाई।
क्या फंड का हुआ दुरुपयोग ग्रामीणों को संदेह है कि पंचायत विकास निधि का उपयोग अन्य कार्यों के लिए हो रहा है, जबकि सार्वजनिक स्थलों को उपेक्षित छोड़ दिया गया है। यह स्थिति केवल भरेवा की नहीं, बल्कि ग्रामीण भारत के श्मशान घाटों की आम दुर्दशा को दर्शाती है। सामुदायिक भागीदारी का अभाव श्मशान घाट जैसे धार्मिक स्थलों की सफाई और देखभाल के लिए स्थानीय समुदाय ने भी कोई ठोस पहल नहीं की। पवित्र स्थल की महत्ता का अभाव ग्राम पंचायत इस स्थल को एक सामाजिक और धार्मिक धरोहर के रूप में संरक्षित करने में असफल रहे हैं।
*धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण से मुक्तिधाम की दुर्दशा का प्रभाव*
मुक्तिधाम की जर्जर स्थिति का प्रभाव व्यापक और गहरा है।धार्मिक नुकसान अंतिम संस्कार के लिए इस्तेमाल होने वाला यह पवित्र स्थल अब अपनी महत्ता खो रहा है। धार्मिक अनुष्ठानों में बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं।सामाजिक समस्याएं गंदगी और झाड़ियों के कारण यहां सांप और अन्य खतरनाक जीव-जंतु पनपते हैं, जो ग्रामीण वासियों की सुरक्षा के लिए खतरा बन रहे हैं।
*स्वास्थ्य पर असर दूषित वातावरण से बीमारियों का खतरा बढ़ गया है*
मुक्तिधाम की उपेक्षा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि सामाजिक और स्वास्थ्य के लिहाज से भी गंभीर समस्या बन चुकी है।
*तालाब की वर्तमान स्थिति जलभराव और गंदगी का केंद्र*
मुक्तिधाम के सामने स्थित तालाब भी पंचायत की लापरवाही का शिकार है।झाड़ियों और कचरे का जमाव तालाब के चारों ओर झाड़ियों और कचरे का जमाव है। जिसके कारण हो रहा दूषित पानी तालाब का पानी पूरी तरह से दूषित हो चुका है, जो अब न तो ग्रामीणों के उपयोग के लायक है और न ही जानवरों के। स्वच्छता का अभाव तालाब में गिरने वाले पत्ते, प्लास्टिक और अन्य कचरा इसे जलभराव और बदबू का केंद्र बना रहे हैं। ग्रामीण वासियों का कहना है कि तालाब की सफाई और देखभाल नहीं होने से इसका उपयोग लगभग नाम मात्र का हो गया है। तालाब की उपेक्षा का प्रभाव पर्यावरणीय और स्वास्थ्य समस्याएं, तालाब की दुर्दशा का प्रभाव न केवल ग्रामीणों, बल्कि आसपास के पर्यावरण पर भी पड़ा है।बीमारियों का खतरा दूषित पानी और गंदगी के कारण मच्छरों की संख्या बढ़ रही है, जिससे मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियों का खतरा है। पवित्र स्थल की गरिमा पर प्रभाव तालाब की गंदगी मुक्तिधाम के वातावरण को भी दूषित कर रही है। पर्यावरणीय नुकसान तालाब का सही तरीके से उपयोग न होने से प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग हो रहा है। तालाब की सफाई और पुनरुद्धार से इन समस्याओं का समाधान संभव है। समाधान के लिए आवश्यक कदम प्रशासन और ग्रामीणों की भागीदारी जरूरी मुक्तिधाम और तालाब की दुर्दशा को सुधारने के लिए प्रशासन और सरपंच को मिलकर प्रयास करना होगा।
मुक्तिधाम के लिए समाधान
1. सफाई अभियान मुक्तिधाम में झाड़ियों और गंदगी को हटाने के लिए विशेष अभियान चलाया जाए।
2. मरम्मत कार्य प्रवेश द्वार और अन्य संरचनाओं की मरम्मत के लिए पंचायत निधि का सही उपयोग हो।
3. स्थायी देखभाल मुक्तिधाम की नियमित सफाई और रखरखाव के लिए एक स्थायी कर्मचारी की नियुक्ति की जाए।
4. जागरूकता कार्यक्रम मुक्तिधाम की धार्मिक और सामाजिक महत्ता पर जागरूकता अभियान चलाया जाए।
तालाब के लिए समाधान
1. सफाई और पुनरुद्धार तालाब की सफाई के लिए विशेष टीम नियुक्त की जाए।
2. झाड़ियों का निपटारा तालाब के आसपास उगी झाड़ियों को हटाया जाए।
3. पुनर्जीवन योजना तालाब के पानी की गुणवत्ता सुधारने के लिए तकनीकी और प्राकृतिक उपाय अपनाए जाएं।
4. सामुदायिक भागीदारी तालाब की देखभाल और स्वच्छता के लिए ग्रामवासियों को जोड़ा जाए।
5. सौंदर्यीकरण तालाब के किनारों पर पौधारोपण किया जाए।
ग्राम भरेवा का मुक्तिधाम और तालाब, दोनों पंचायत की उदासीनता का प्रतीक बन चुके हैं। मुक्तिधाम जैसे पवित्र स्थल की दुर्दशा का समाधान जल्द से जल्द होना अतिआवश्यक है।
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