Ticker

6/recent/ticker-posts

भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने का खेलः विनियर मशीन की ‘नियम विरुद्ध’ अनुमति की फाइल दबाए बैठा शहडोल वन विभाग

 


रिपोर्ट @मिर्जा अफसार बेग 

अफसरशाही का आलमः प्रभारी सीसीएफ का आदेश भी बेअसर, 4 माह से आरटीआई की जानकारी पर कुंडली मारकर बैठे जिम्मेदार

शहडोल में सूचना के अधिकार की ‘हत्या’ः अपील और आदेश के बाद भी वन विभाग खामोश, बड़े घपले को छिपाने की साजिश!

शहडोल (मध्य प्रदेश)। सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम का पालन सुनिश्चित करने में शहडोल वन विभाग की घोर लापरवाही सामने आई है। मुख्य वन संरक्षक (सीसीएफ) कार्यालय, जो वर्तमान में बांधवगढ़ क्षेत्र संचालक अनुपम सहाय के अधीन है, में चार माह पूर्व लगाई गई एक आरटीआई की जानकारी आज दिनांक तक आवेदक को उपलब्ध नहीं कराई गई है। प्रथम अपील और विभागीय मुखिया के आदेशों के बावजूद जानकारी न दिए जाने से यह स्पष्ट हो गया है कि वन विभाग सूचना के अधिकार का खुल्लमखुल्ला उल्लंघन कर रहा है।

4 माह बाद भी जानकारी शून्य

आवेदक द्वारा आरटीआई लगाए जाने के बाद, जब निर्धारित समय सीमा में जानकारी नहीं मिली, तो उन्होंने इसकी प्रथम अपील की। लेकिन चार माह से अधिक समय बीत जाने और अपील के बावजूद भी, आवेदक को कोई समुचित जानकारी प्राप्त नहीं हुई है। मामले की गंभीरता तब और बढ़ जाती है जब बांधवगढ़ के क्षेत्र संचालक एवं सीसीएफ शहडोल अनुपम सहाय द्वारा भी प्रथम अपील की पेशी के दौरान आवेदक को जानकारी उपलब्ध कराने के लिए आदेश जारी किया गया था। विभाग के मुखिया के निर्देशों के बावजूद निचले स्तर के अधिकारियों द्वारा जानकारी न देना यह दर्शाता है कि वन विभाग के भीतर आरटीआई के कार्य को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। या फिर डीएफओ दक्षिण और डीएफओ अनूपपुर प्रभारी सीसीएफ को ही गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।

नियम विरुद्ध अनुमति निरस्त, फिर भी चुप्पी

आवेदक द्वारा यह जानकारी वीनियर पीलिंग लेथ मशीन की अनुमति वनों की कटाई (वृक्षों को काटने) के लिए दी गई अनुमति से संबंधित थी। गौरतलब है कि नवागत डीएफओ अनूपपुर ने तत्कालीन डीएफओ श्रद्धा पेन्द्रो द्वारा नियम विरुद्ध दी गई विनियर की अनुमति को निरस्त कर दिया था। यह जानकारी इसी निरस्तीकरण के बाद मांगी गई थी। चूँकि विभाग की एक बड़ी गलती (नियम विरुद्ध अनुमति देना) पहले ही साबित हो चुकी है, ऐसे में जानकारी न देना सीधे तौर पर बड़े भ्रष्टाचार को छिपाने का प्रयास माना जा रहा है।

राज्य आयोग के निर्देशों का भी उल्लंघन

उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार और राज्य सूचना आयोग द्वारा सभी विभागों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि सूचना के अधिकार के आवेदनों का निपटारा प्राथमिकता के आधार पर और निर्धारित समय सीमा के भीतर किया जाए। आयोग द्वारा यह बार-बार दोहराया गया है कि आरटीआई अधिनियम का पालन सुनिश्चित करना अधिकारियों का कानूनी दायित्व है, और जानकारी छिपाना सीधे तौर पर अधिनियम का उल्लंघन माना जाएगा। शहडोल वन विभाग का यह रवैया, विभागीय प्रमुख के आदेश के साथ-साथ, राज्य सूचना आयोग के इन कड़े निर्देशों की भी सीधी अवहेलना है।

भ्रष्टाचार छुपाने की मंशा

जानकारों का मानना है कि वन विभाग द्वारा जानकारी न देने के पीछे कहीं न कहीं गहरे भ्रष्टाचार को छिपाने का प्रयास है। जिस जानकारी को आवेदक चार माह से, बार-बार अपील और आदेशों के माध्यम से माँग रहा है, उसे रोकने का कोई तार्किक कारण नहीं हो सकता। यह सीधे तौर पर यह सिद्ध करता है कि विभाग के भीतर कुछ ऐसा चल रहा है जिसे सार्वजनिक करने से अधिकारियों के ‘कारनामे’ उजागर हो सकते हैं। सूचना के अधिकार का इस तरह हनन करना, स्वतः ही विभाग की मंशा और उसकी पारदर्शिता पर बड़े सवाल खड़े करता है।

इनका कहना है

(इस संबंध में जानकारी के लिए प्रभारी सीसीएफ शहडोल फील्ड डायरेक्टर बांधवगढ़ डॉ अनुपम सहाय को हमारे द्वारा उनके दूरभाष पर संपर्क किया गया लेकिन उनका फोन नहीं उठा)

Post a Comment

0 Comments