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प्रतापगढ़ जिले के तहशील पट्टी के ग्राम डेढुआ श्रीमद्भागवत कथा का समापन

 


रिपोर्ट @मिर्जा अफसार बेग 

*मित्रता हो"तो कृष्ण-सुदामा जैसी:- कथा व्यास मजराज आचार्य अवनीश धर द्विवेदी*


प्रतापगढ़:--- प्रतापगढ़ जिले के पट्टी तहसील क्षेत्र के ग्राम  डेढुआ गांव में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया गया। जिसमें मौजूद श्रद्धालुओं ने भाव विभोर होकर कथा का रसपान किया। क्षेत्र के डेढुआ गांव आयोजक अशोक कुमार पांडे जी निज निवाश पर पिता श्री सभाजीत पांडे,माता श्रीमती विजय लक्ष्मी पांडे ने कथा का श्रवण 21 नवंबर शुक्रवार की शाम से आयोजित श्रीमद्भागवत कथा जो कि 28 नवंबर तक चला जिसके बाद आज 29 नवंबर को ब्रम्भोज रखा गया। बता दे कि अयोध्या धाम से पधारे कथा वाचक श्री अवनीश धर द्विवेदी जी महाराज के सानिध्य में। श्रीमद्भागवत कथा का रसपान कराया गया कथा व्यास मजराज श्री अवनीश धर द्विवेदी जी ने बताया कि इंसान के जीवन में धैर्य का सबसे अधिक महत्व है। धैर्यवान मनुष्य कभी पराजित नहीं होता है , और धैर्य और संयम के बल पर वह बड़ी से बड़ी चुनौतियों को आसानी से पार पा लेता है।

*जीवन कष्ट कितना बड़ा ना हो हमें धर्म के मार्ग से विचलित नहीं होना चाहिए:---श्री अवनीश धर द्विवेदी*

उन्होंने बताया कि जीवन में चाहे जितना बड़ा कष्ट क्यों ना हो हमें धर्म के मार्ग से विचलित नहीं होना चाहिए इंसान को सहनशील बनने की जरूरत होती है । इंसान जब कोई कार्य करता है तो वह चाहता है कि सब कुछ उसे तुरंत प्राप्त हो जाए और यही दुख का कारण बनता है। उन्होंने बताया कि भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को यही समझाते हैं कि आपका काम सिर्फ कर्म करना है फल तो अपने आप मिल जाएगा । इसलिए कर्म परायण बनने की जरूरत है ।

*कथा ब्यास ने भक्ति और प्रेम का कराया रसपान*

धरती हजारों पापियों का बोझ सहन कर लेती है इसीलिए उसे मां का दर्जा दिया जाता है। जिस व्यक्ति के अंदर सहनशीलता और संयम के साथ धैर्य होगा वह उतना ही महान बनेगा जब व्यक्ति धर्म को समझ लेता है जान लेता है तो उसे अन्य किसी वस्तु की जरूरत नहीं पड़ती है । उन्होंने कहा कि आनंद तो हमारे अंदर ही विद्यमान है हम अनायास ही भौतिक चीजों में उसे ढूंढते रहते हैं।कार्यक्रम में श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा की संकीर्तन के साथ कथा को विराम दिया गया

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