मिर्जा अफसार बेग
शहडोल । जिले के सोहागपुर जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत बेम्हौरी के सचिव तुलसीदास सिंह के संबंध में ग्रामीणों ने इस आशय के आरोप लगाए हैं कि उन्होंने बीते वर्ष संभावित त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए गांव के ही संभावित कुछ कथित प्रत्याशियों को लाभ पहुंचाने के लिए मनमाने ढंग से दर्जनों मतदाताओं को एक वार्ड से दूसरे वार्ड का मतदाता बना दिया। जिसकी भनक ग्रामीणों को तब लगी जब वे बीते दिसंबर-जनवरी में चुनाव की गहमा-गहमी चल रही थी। जानकारों की मानें तो एकसाथ इतने मतदाताओं को अलग-अलग वार्ड और गांव के अलग-अलग कोने से चुन के किसी एक वार्ड में जोड़ा जाना परीसीमन की श्रेणी में आता है। यदि ऐसा है तो, जिस परिसीमन को करने में प्रदेश सरकार के पसीने छूट गए थें उसे बेम्हौरी सचिव तुलसीदास ने निर्वाचन और परिसीमन के नियम कायदों को ठेंगे में रख, कर दिया?
क्या लिखा है शिकायत में
ग्रामीणों ने जनसुनवाई में शिकायत देते हुए जिलाधीश एवं जिला निर्वाचन अधिकारी से बताया है कि बेम्हौरी पंचायत सचिव तुलसीदास सिंह के देखरेख मे वार्ड नंबर 19 और 20 के अलग-अलग मतदाताओं को, बगैर किसी सार्वजनिक सूचना के वार्ड नंबर 18 में जोड़ दिया गया, वार्ड नंबर 18 सामान्य सीट होने पर वार्ड नंबर 19 के एक संभावित प्रत्याशी ने अन्य-अन्य वार्डों में बसे अपने परिजनों का नाम चुन-चुन कर 18 नंबर वार्ड में जुड़वाकर चुनाव जीतने लिए चुनावी समीकरण बैठानी चाही, जिसमें इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि इसमें पंचायत सचिव और संबंधित बीएलओ सामिल नहीं रहें होंगे!
ग्रामीणों को हमेशा की तरह स्पष्ट तौर पर सार्वजनिक सूचना नहीं दी गई, जिससे ग्रामीणों को कोई सूचना नहीं मिल पाई। यह सब बीते दिसंबर-जनवरी में संभावित त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव से पहले किया गया। यानी जब शासन भी परिसीमन नहीं करवा पा रही थी तब पंचायत सचिव ने मिलीभगत कर के परिसीमन कर दिया?
ग्रामीणों ने बताया कि बेम्हौरी में वार्ड नंबर 19, 20 के जिन-जिन मतदाताओं को चुन-चुन कर 18 में लाया गया वें सभी दशकों से अपने वर्तमान पते पर ही निवासरत हैं, और उन सभी के मकानों के बीच में कई अन्य ग्रामीणों के भी मकान हैं। अगल-बगल के घरों को छोड़कर गांव के एक-एक कोने के घरों से मतदाताओं को उठा कर किसी एक वार्ड विशेष में जोड़ा जाना स्पष्ट रूप से संदेहास्पद है, जिसके जांच की मांग ग्रामीण लगातार कर रहे हैं।
ग्रामीणों ने जिला निर्वाचन अधिकारी से यह भी मांग की है कि ग्रामपंचायत बेम्हौरी के वार्ड नंबर 18, 19 और 20 की मतदाता सूची को बगैर जिला निर्वाचन अधिकारी के निगरानी और संबंधित वार्ड के सभी ग्रामीणों की निगरानी के बिना अंतिम रूप न दिया जाए, साथ हि अंतिम सूची से पहले एसडीएम, जिला पंचायत सीईओ से मौके का सर्वे भी कराया जाए।
किसी से पूछना तक जरूरी नहीं समझा
व्यवस्था सुदृढ़ बनी रहे इसके लिए हि ग्राम पंचायत में एक स्थानीय कर्मचारी (सहायक सचिव) नियुक्त किए जाते हैं, जो जमीनी तौर पर सभी गांव और ग्रामीणों को पहचाने, इसके बाद हर वार्ड में सलाह मश्विरा के लिए पंच भी होते हैं, लेकिन बेम्हौरी सचिव द्वारा पंचायत के संवेदनशील वार्ड में बगैर किसी से पूछे-जाने बगैर स्पष्ट सूचना के दर्जनों मतदाताओं का हेर फेर कर दिया गया।
क्या सस्पेंड होने तक सस्पेंस में रखेंगे कुछ नामों को?
आखिर किसकी सह पर सचिव तुलसीदास ने इतनी बड़ी हिम्मत कर ली? क्या ऐसा करने से पहले संबंधित वार्ड के पंचों से स्पष्टीकरण किया गया था? या संबंधित बीएलओ को भी ले-दे के चुप करा दिया था? पंचायत के अतिरिक्त इसमें किनकी मिलीभगत थी? सचिव तुलसीदास उन नामों को उजागर करेंगे या जांच के बाद पुनः सस्पेंड होने तक उन नामों को सस्पेंस में ही रखेगें?
सचिव तुलसीदास निष्पक्ष परिसीमन को प्रभावित कर सकता है -ग्रामीण
जिला निर्वाचन अधिकारी से किए गए शिकायत में ग्रामीणों ने लिखित तौर पर कहा है कि बेम्हौरी पंचायत सचिव बीते वर्ष से त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए निष्पक्ष परिसीमन प्रक्रिया को प्रभावित कर रहा है, जिससे निर्वाचन प्रभावित होगा, इसके लिए जरूरी होगा कि परिसीमन प्रक्रिया में की गई गड़बड़ी की जांच करा के कड़ी कार्रवाई करते हुए नौकरी से बर्खास्त किया जाए।
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