रिपोर्ट @मिर्जा अफसार बेग
दिनांक 30.04.2024 को अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, शहडोल ज़ोन डी.सी. सागर द्वारा जिला शहडोल में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के अंतर्गत पंजीबद्ध अपराधों की समीक्षा बैठक निम्नलिखित बिन्दुओं पर की गई –
1. विवेचना से संबंधित अभियोजन की विधिक राय
2. अपराध के पीडि़तों का राहत प्रकरण
3. पीडि़तों के जाति प्रमाण पत्र
4. अपराधों का विधिवत् चालान
इस समीक्षा बैठक में एडीजीपी डी.सी. सागर द्वारा उप पुलिस महानिरीक्षक शहडोल रेंज सविता सोहाने, पुलिस अधीक्षक शहडोल कुमार प्रतीक, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शहडोल अभिषेक दीवान, एसडीएम सोहागपुर अरविंद शाह, डीपीओ श्यामलाल कोष्ठा, सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग शहडोल आनन्द राय सिन्हा, जीपी. अरुण द्विवेदी, डीएसपी अजाक विकास पाण्डेय, रक्षित निरीक्षक दीपेन्द्र कुशवाह, थाना अजाक से सउनि रतिराम सिंह, सउनि जगन्नाथ सिंह मार्को, प्र0आर0 जानकी प्रसाद चतुर्वेदी, महिला प्र0आऱ0 खेम सोनवानी, प्र0आर0 रविकांत यादव, प्र0आर0 राजेन्द्र सिंह परिहार, प्र0आर0 प्रशान्त कुमार सोनी, आर0 कमलेश कुर्मी, रामकिशोर सिहं, महिला थाना शहडोल से आकाश सिंह, भारत सिंह एवं अन्य अधिकारी/कर्मचारी के साथ उक्त बिन्दुओं पर चर्चा कर निम्नलिखित निर्देश दिए गए :-
1. अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के अंतर्गत अपराध कायमी के तुरंत बाद एफआईआर की सूचना संबंधित विभागों को दी जाये और इसकी प्रतिलिपि पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को भी दी जाये ताकि संबंधित विभागों द्वारा प्रकरण में समुचित कार्यवाही शीघ्र की जा सके। साथ ही अंतर्विभागीय समन्वय बना रहे।
2. अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के अपराध के कायमी की सूचना प्राप्त होने पर, फरियादी का जाति प्रमाण पत्र न होने पर राजस्व विभाग द्वारा शीघ्र जाति प्रमाण पत्र जारी करने से संबंधित आवश्यक कार्यवाही की जाये जिससे आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा पीडि़त को विधिवत् राहत राशि का भुगतान शीघ्र किया जा सके।
3. पुलिस अधिकारियों द्वारा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के पीडि़तों के लिए निर्धारित राहत राशि के प्रकरण नियमानुसार शीघ्र आदिम जाति कल्याण विभाग को भेजे जायें जिससे पीडि़तों को राहत राशि समय पर प्राप्त हो सके।
4. पुलिस द्वारा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के प्रकरणों में विवेचना के दौरान अभियोजन शाखा से प्रकरणों की स्क्रूटनी करवायें और स्क्रूटनी की तामीली को विवेचना का हिस्सा बनायें ताकि विवेचना में वैज्ञानिक/फोरेंसिक साक्ष्य संकलन, परिस्थितिजन्य साक्ष्य एवं साक्षियों के कथन व्यवसायिक दृष्टि से सुसंगत हो सकें।
5. अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के लंबित अपराधों की विवेचना पुलिस मुख्यालय द्वारा जारी एसओपी के अनुसार सुनिश्चित करें।
6. अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के प्रकरणों में अंतर्विभागीय व्यवसायिक समन्वय के लिए पुलिस, अभियोजन, राजस्व एवं आदिम जाति कल्याण विभाग के अधिकारियों का व्हॉट्सअप ग्रुप भी बनाया गया, जिससे सभी विभागीय अधिकारी आपस में सम्पर्क में रहकर अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के प्रकरण संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियों का आदान-प्रदान कर सकें।
अंतर्विभागीय व्यवसायिक समन्वय के लिए डीसी सागर द्वारा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति से संबंधित प्रकरणों में कार्यरत सभी उपस्थित अधिकारियों में एक नवीन प्रेरणा का संचार निम्नलिखित पंक्तियों के माध्यम से किया :
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती



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