रिपोर्ट @मिर्जा अफसार बेग
रेल अधिकारियों की झंझारिया निर्माण कंपनी पर बरस रही कृपा
उमरिया --- दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे बिलासपुर जोन के नौरोजाबाद रेलवे स्टेशन में बुकिंग कार्यालय के आगे सिग्नल गुमटी के पास लाइन नंबर 01 में पोल क्र 1026 के पास रेलवे जमीन पर लगभग 2000 वर्ग फीट पर बने रेलवे के एक विशाल भवन पर झंझारिया निर्माण कंपनी के व्दारा लगभग 15 वर्षों से कब्ज़ा कर अपना कारोबार चला आ रही है , बताया जाता है कि यह कब्जा रेलवे विभाग के तत्कालीन एडीईएन उमरिया के शह पर किया गया था,तब से झंझारिया निर्माण कंपनी ने उस भवन पर अंगद का पैर जमाकर बैठा हुआ है । पिछले दिनों आर टी आई से मिली जानकारी के मुताबिक रेलवे के उक्त भवन को रेल प्रशासन के व्दारा किसी को किसी भी रूप में नहीं दिया गया है , फिर उस भवन पर झंझारिया निर्माण कंपनी का कब्जा कैसे हो गया यह कौतूहल भरा प्रश्न जन चर्चा का विषय बना हुआ है । इस भवन का किराया ही लाखों रूपए प्रतिमाह आंका जा रहा है। बताया जाता है कि रेलवे विभाग के उमरिया के जिम्मेदार रेल अधिकारियों की इसी मिलीभगत के कारण कि इस भवन को झंझारिया निर्माण कंपन को लगने वाले किराये से जिम्मेदार अधिकारी अपनी जेबें गर्म करके कंपनी को रेलवे भवन भेट कर रखे हैं ।अगर इस अंतराल के भवन के किराए की भरपाई की जाये तो करोड़ों रुपयों की आमदनी रेलवे को एक मुश्त हासिल हो सकती है लेकिन झंझारिया निर्माण कंपनी तो रेल अधिकारियों को गोद में ले रखी है ।जिस वजह से रेल प्रशासन की मेहरबानी झंझारिया निर्माण कंपनी के ऊपर बरस रही है ।उनकी कृपा की सहदानी ही है कि झंझारिया निर्माण कंपनी रेल भवन का लुत्फ मुफ्त में उठा रही है ।रेल प्रशासन की इस कार्य शैली से जन मानस में यह सवाल हर एक के लिए हैरान कर रखा है कि रेलवे परिसर में जहां आम लोगों का प्रवेश प्रतिबंधित है और रेल यात्रियों को प्लेट फार्म में प्रवेश पर भी हर एक घंटे का हिसाब चुकाना पड़ता है वहीं रेलवे प्रशासन पन्द्रह वर्षों से जान बुझकर इस भवन की सुधि नहीं ले पा रहा है । विदित होवे कि इस मामले की शिकायत भी पहले दर्ज करायी गयी थी , लेकिन रेल प्रशासन तक झंझारिया निर्माण कंपनी की पहुंच के आगे रेल प्रशासन मुकम्मल कार्यवाही करने में बौना साबित हो रहे हैं । शिकायत कर्ता ने दपूमरे बिलासपुर के मण्डल प्रबंधक एवम उच्च अधिकारियों से शिकायत की थी, जिसमे नौरोजाबाद रेलवे स्टेशन में स्थित बुकिंग कार्यालय के आगे सिग्नल गुमटी के पास लाईन न.1 पोल क्र. 1026 के सामने में रिलवे जमीन पर लगभग 2000 वर्गफुट के भवन को विगत 15 वर्षों से अनाधिकृत व अवैध रूप से तत्कालीन आईओडब्लू/एडीईएन व बिलासपुर में बैठे उच्च अधिकारी के मिलीभगत से स्वयं के आर्थिक लाभ के लिये झाझारिया निर्माण लिमिटेड अनाधिकृत एवम अवैध तरीके से रेल भवन का निर्माण कर उसमें कंस्ट्रक्शन विभाग की मशीनरी, लोडर, जेसीबी, कार्यालय,कर्मचारी , सुपरवाइजर , झांझरिया की गाड़ियां रखी जाती रही है।
*सूचना के अधिकार अधिनियम से प्राप्त जानकारी अनुसार*
सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत जब उस भवन की जानकारी ली गई जिसमें वरिष्ठ मंडल अभियंता (उत्तर) बिलासपुर ने जानकारी मे बताया की भवन को किसी को नहीं दिया गया है न ही लीज में और न किराये पर और न ही किसी ठेकेदार और न ही प्राइवेट, व्यक्तियों को दी गई है।
यह अभी मेरे संज्ञान में आया है , डी ई एन एवम ए ई एन को उचित कार्यवाही करने हेतू बोल दिया गया है, जल्द ही तोड़ दिया जाएगा।
*सूत्रों के हवाले से खबर है की*
लगभग 2000 वर्गफीट का भवन तत्कालीन एडीईएन, डी ई एन बिलासपुर के साथ मिलीभगत व साठगाठ करते हुए स्वयं के आर्थिक लाभ के लिये अनाधिकृत व अवैध रूप से झांझरिया निर्माण लिमिटेड ठेकेदार को दिए है।
उचित कार्यवाही के नाम पर एक जांच कमेटी बनाकर उससे जांच करवाई गई कि उक्त भूमि रेलवे की है या नहीं,
सूत्रों के हवाले से पता चला है कि कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा है कि उक्त भूमि रेलवे की है। रेल्वे की भूमि पर जे एन एल द्वारा अवैध पक्का कंस्ट्रक्शन करके कॉम्प्लेक्स बना है। जिसमें लगभग 20-25 कर्मचारी निवासरत है। उक्त कॉम्प्लेक्स में ट्रक, ट्रेलर, बोलोरो,जेसीबी, ट्रेक्टर ट्राली आदि वाहन रखा है।
एक बोर भी है, उस कमेटी की रिपोर्ट पर एक नोटिस भी चिपकाया गया, कि 10 दिन के अंदर खाली कर दिया जाए,
लेकिन 6 माह पूर्ण होने के बाद भी कॉम्प्लेक्स खाली कराया गया, और न ही उसे तोड़ा गया। एसा मालूम होता है कि वर्तमान ए डी एन, डी ई एन भी पुराने अधिकारियों की तरह मैनेज हो गए। उनको भी पुराने अधिकारियों की तरह
स्वयं का आर्थिक लाभ दिखाई देने लगा है।
*उक्त रेल भवन मे रेलवे की बिजली अथवा एमपीईबी से मीटर कैसे लगी ?*
*यदि कोई रेल कर्मचारी होता तों शिकायत के बाद उसके और उसके परिवार पर गाज गिरती ?*
बता दे की रेलवे का कर्मचारी का स्थानांतरण होता है और वह रेलवे क्वाटर किसी कारणवश नहीं छोड़ पाता है तो रेलवे प्रशासन द्वारा पैनल रेट काटा जाता है। उसके बाद रेलवे की आरपीएफ पुलिस उसका सामान फेक कर कर्मचारी और पुरे परिवार को घर से निकाल देती। उक्त भवन मे बिलासपुर मण्डल के रेलवे प्रशासन का करोड़ो रूपये की क्षति हुई है। रेल प्रशासन द्वारा नियमानुसार राशि वसूल की जाये साथ ही ऐसे लोगो के विरूद्ध एफआईआर दर्ज करते हुए कढ़ी से कढ़ी कार्यवाही की जाये। इतना ही नही उक्त रेल भवन मे रह रहे अधिकृत लोगो को बाहर करें।
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