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एबीवीपी कार्यकर्ताओं पर दर्ज फर्जी एफआईआर की निष्पक्ष जांच करने प्रतिनिधि मण्डल ने दिया पुलिस महानिरीक्षक को ज्ञापन

 


रिपोर्ट @मिर्जा अफसार बेग 

शहडोल ।। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय (आईजीएनटीयू) में 14 और 15 अगस्त को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) द्वारा आयोजित शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन और ज्ञापन कार्यक्रम पर उपद्रव हो गया। एबीवीपी का आरोप है कि 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान विश्वविद्यालय के कुछ प्रोफेसरों के उकसावे पर संदिग्ध शोधार्थियों और असामाजिक तत्वों ने एबीवीपी कार्यकर्ताओं और संगठन मंत्री पर हमला कर मारपीट की।

सीसीटीवी फुटेज छुपापर अफवाहों को बल दे रहा विश्वविद्यालय प्रशासन 

एबीवीपी जिला संयोजक प्रणव मिश्रा ने पुलिस महानिरीक्षक शहडोल संभाग को लिखे पत्र में कहा है कि घटना के समय सीसीटीवी और वीडियो फुटेज मौजूद हैं, जो यह साफ करते हैं कि प्रदर्शन शांतिपूर्ण था और उपद्रव संदिग्ध शोध प्रवेशार्थियों ने किया। पत्र में आरोप लगाया गया है कि इस पूरे मामले में विश्वविद्यालय के प्रोफेसर भूमिनाथ त्रिपाठी, विकास सिंह, संतोष कुमार सोनकर और तरुण ठाकुर की भूमिका संदिग्ध है।

प्रो. भूमिनाथ त्रिपाठी का भड़काउ भाषण वायरल

एबीवीपी ने कहा कि दुख की बात यह है कि इस घटना के बाद स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम में प्रो. भूमिनाथ त्रिपाठी ने भड़काऊ भाषण देकर उन असामाजिक तत्वों का महिमामंडन किया, जिन्होंने उपद्रव और मारपीट की थी, इसलिए उनपर भी उचित धाराओं के तरह रिपोर्ट दर्ज करते हुए कार्यवाही की जाए।

एबीवीपी का यह भी आरोप है कि पीड़ित पक्ष होने के बावजूद उन्हीं पर झूठी और निराधार एफआईआर दर्ज कर दी गई, जिसका उद्देश्य संगठन को दबाना और आंदोलन को कमजोर करना है।

एबीवीपी ने आईजी शहडोल से मांग की है कि –

छात्रों और कार्यकर्ताओं पर दर्ज झूठी एफआईआर को तत्काल निरस्त किया जाए।

मारपीट और उपद्रव में शामिल संदिग्ध प्रोफेसरों व छात्रों पर निष्पक्ष जांच कर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए।

मामले को गंभीरता से लेकर दोषियों के खिलाफ धाराएं बढ़ाई जाएं।

पत्र में एबीवीपी ने कहा है कि यदि इस मामले में जल्द निष्पक्ष कार्रवाई नहीं हुई, तो संगठन बड़ा आंदोलन करेगा।

आखिर ये उपद्रवी तत्व वहाँ कर क्या रहे थे?

एबीवीपी का कहना है कि 14 अगस्त की रात से ही सूचना मिल रही थी कि कुछ संदिग्ध शोधार्थी और असामाजिक तत्व एबीवीपी कार्यकर्ताओं पर हमला करने की तैयारी कर रहे हैं। आशंका के बावजूद न तो विश्वविद्यालय प्रशासन और न ही पुलिस ने उनकी रोकथाम की। एबीवीपी का आरोप है कि इन उपद्रवियों का छात्रों या संगठन से कोई संबंध नहीं था, बल्कि इन्हें पूरी तैयारी के साथ विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों द्वारा भेजा गया ताकि आंदोलन को बदनाम किया जा सके और शांतिपूर्ण प्रदर्शन को हिंसक मोड़ दिया जा सके। एबीवीपी का कहना है कि चूंकि संगठन प्रशासनिक अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन चला रहा था, इसलिए सोची-समझी साज़िश के तहत इन उपद्रवियों का सहारा लिया गया।


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