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शिकायत के बाद जागा दक्षिण वन मंडल गंभीर आरोपों के बाद विभाग हरकत में आया

 


रिपोर्ट @बृजेश मिश्रा

मजदूरी घोटाले में न्यूनतम कैश भुगतान, फर्जी बिल बाउचर और 150 स्क्वायर फीट में ठेका— छः सदस्यीय जांच समिति गठित*

*शहडोल।*दक्षिण वन मंडल शहडोल में लंबे समय से दबे पड़े मजदूरी घोटाले की परतें अब एक-एक कर खुलने लगी हैं। मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के विरुद्ध न्यूनतम कैश भुगतान, फर्जी बिल बाउचर, और नियमों को ताक पर रखकर 150 स्क्वायर फीट के हिसाब से ठेका दिए जाने के गंभीर आरोपों के बाद विभाग हरकत में आया है।*

*शिकायत के सामने आने के बाद वन विभाग ने स्वीकार किया कि मामले की विभागीय जांच आवश्यक है। इसी क्रम में आई एफ एस मीणा जी की अध्यक्षता में छः अधिकारियों की समिति गठित की गई है, जो पूरे प्रकरण की जांच कर रिपोर्ट सौंपेंगे।*

*150 स्क्वायर फीट में ठेका—वन नियमों की खुली अवहेलना*

*वन विभाग के नियमों के अनुसार मजदूरी कार्य बिल वाउचर आधारित होता है, लेकिन शिकायत में खुलासा हुआ है कि कार्य को एरिया रेट (150 स्क्वायर फीट) में बांटकर ठेकेदार को दे दिया गया—*

*वह भी बिना टेंडर, बिना वर्क ऑर्डर और बिना प्रशासनिक स्वीकृति के।*

*विशेषज्ञों के अनुसार यह मामला केवल विभागीय लापरवाही नहीं, बल्कि संगठित वित्तीय अनियमितता और आपराधिक विश्वासघात की श्रेणी में आता है।*

*अब दस्तावेज़ों की परीक्षा से तय होगा सच शिकायतकर्ता ने जांच समिति से लिखित रूप में मांग की है कि—1. मजदूरी बिल वाउचर*

*2. भुगतान रजिस्टर*

*3. बैंक/PFMS विवरण*

*4. MB बुक,ठेकेदार से निर्माण कार्य स्वीकृति आदेश,निरीक्षण रिपोर्ट*

*यदि ये दस्तावेज़ प्रस्तुत नहीं होते, तो घोटाले की पुष्टि स्वतः मानी जाएगी।*

*हाईकोर्ट तक जाएगा मामला?*

*शिकायतकर्ता ने स्पष्ट किया है कि यदि जांच में विभागीय अधिकारियों की भूमिका उजागर होती है और कार्रवाई केवल दिखावटी रहती है, तो ट्रेनिंग में आए नए आई एफ एस अधिकारियों को आवेदन देकर पुनः जनहित याचिका (पीआई एल) दायर की जाएगी। साथ ही ईओडब्लू लोकायुक्त और एसीबी जांच की भी मांग की जाएगी।*

*सवाल जो अभी बाकी हैं*

*न्यूनतम मजदूरी भुगतान कैश में किसके आदेश से हुआ? निर्माण ठेका किसकी मौखिक/लिखित अनुमति से दिया गया? बिल बाउचर और भुगतान का सत्यापन किसने किया? क्या जिम्मेदार अधिकारियों पर भी कार्रवाई होगी?*

*अब नजरें छः सदस्यीय जांच समिति की रिपोर्ट पर टिकी हैं।यह रिपोर्ट तय करेगी कि यह मामला केवल कागजी गड़बड़ी है—या फिर दक्षिण वन मंडल शहडोल का अब तक का सबसे बड़ा मजदूरी घोटाला।*

*इनका कहना है*

*डीएफओ शहडोल श्रद्धा पेंद्रो द्वारा दिया गया कथन कि डिवीजन स्तर पर मजदूरों को उनके निर्धारित नॉर्म्स के आधार पर ही भुगतान किया जाता है।उक्त जानकारी के संबंध में साक्ष्य प्रस्तुत किए जाएँ, क्योंकि आपकी शिकायत पर आई एफ एस मीणा जी की अध्यक्षता में छः अधिकारियों की समिति जांच हेतु गठित की गई है। जांच उपरांत तथ्यों एवं प्रस्तुत साक्ष्यों के आधार पर नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी। अंतिम निर्णय जांच रिपोर्ट के आधार पर लिया जाएगा।*

*श्रद्धा पेंद्रो (डी एफओ शहडोल)*

*दक्षिण वन मंडलाधिकारी*

*शहडोल मध्यप्रदेश*


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