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मुल्क को महफूज़ रखने ईदुल-अदहा में उठे हाथ,मस्जिद और ईदगाह में की गई दुआऐ

 


असलम शेर उमरिया 

उमरिया ।  मुख्यालय स्थित ईदगाह सहित  जामा मस्जिद एवम गौसिया मस्जिद में कलेक्टर के निर्देश पर शासन के मंशानुरूप कोरोना प्रोटोकाल के मद्देनजर नमाज़ अदा की गई है,बाद नमाज़ मुस्लिम भाइयों ने मुल्क की हिफाज़त और बेहतरी के लिए दुवाएं की, साथ ही अल्लाह से कोरोना महामारी से मुल्क के लोगो को बचाने दुवा की गई है।मरहुमों के इसाले सवाब के लिए मुस्लिम भाइयों ने नमाज़ अदा कर कब्रिस्तान में  फातिहा पढ़ी है।इस खास मौके पर ईदगाह में इस्तकबाल के लिए मौजूद कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव,एवम पुलिस अधीक्षक विकाश शाहवाल ने मुस्लिम भाइयों को बधाइयां दी।  जामा मस्जिद के सदर सईद मंसूरी ने बताया कि कोरोना गाइड लाइन के अनुसार मुस्लिम भाइयों ने मस्जिद और ईदगाह में अलग अलग नमाज़ अदा की है,विदित हो कि उमरिया शहर के अलावा जिले के पाली,नोरोजाबाद,चंदिया,मानपुर,विंध्या कालोनी, मंगठार सहित दर्जनों स्थल में कोरोना गाइड लाइन का पालन कर मुस्लिम भाइयों ने  ईदुल अज़हा की नमाज़ खुसूसी तौर से अदा की है।

*निष्ठा और विश्वास का प्रतीक है ईद-उल-अज़हा*



पाक त्यौहार ईद-उल-अजहा ईश्वर के प्रति विश्वास का प्रतीक है।इस दिन मुस्लिम भाई एक दूसरे के गले लगकर पूरे गिले शिकवे खत्म कर देते है,पवित्र माह रमज़ान के लगभग 70 दिनों बाद चांद की ज़ियारत पर इस खुसूसी त्यौहार को मुस्लिम भाई बड़े अदब और एहतराम से मनाते है,इस दिन मुस्लिम भाईयों के घर कुर्बानी होती है,स्थानीय ने कुर्बानी को लेकर बताया कि कुर्बानी के तीन हिस्सो में एक हिस्सा गरीबों का होता है,बाकी दो हिस्से दोस्तों और घर के सदस्यों का होता है।उन्होंने बताया कि मुस्लिम भाई ईदुल अज़हा के दिन गरीबो की मदद करते है और उन्हें अपने साथ खाना खिलाते है।गौरतलब है कि पैगम्बर हजरत इब्राहिम इसी दिन अल्लाह के हुकुम पर अपने बेटे इस्माइल की कुर्बानी देने तैयार हो गए थे,बेटे इस्माईल ने भी बिना हिचकिचाएं अल्लाह के इस हुक्म पर खुद के कुर्बानी की इजाजत अपने वालिद पैगम्बर इब्राहिम को दे दी थी,मुस्लिम भाइयों की माने तो जब हजरत इब्राहिम अपने बेटे को कुर्बानी देने आगे बढ़े तो खुदा ने उनकी निष्ठा को देखते हुए बेटे इस्माइल की कुर्बानी को दुंबे यानी बकरे की कुर्बानी में बदल दिया,तभी से मुस्लिम भाई इस दिन को बकरीद के त्यौहार के रूप में मनाते है, मुस्लिम भाइयों के लिए ईदुल अज़हा का त्यौहार इसलिए

खास मरतबा रखता है क्योंकि ये त्यौहार ईश्वर के प्रति निष्ठा और विश्वास का प्रतीक है।

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