रिपोर्ट @सुशील कुमार प्रजापति
धनपुरी - देश व प्रदेश के मुखिया कहते हैं कि देश का अन्नदाता परेशान नहीं होना चाहिये, कृषि प्रधान देश में लेकिन आज भी ऐसी तमाम विसंगतियां है जिनके चलते किसान परेशान है और उसकी सुनवाई नहीं हो रही है। जो किसान अपनी भूमि पर उपजाऊ खेती कर किसी तरह अपनें परिवार का भरण पोषण करते थे,उनकी भूमि अब बंजर जैसी हो चुकी है तसल्ली इस बात की थी उनकी उपजाऊ भूमि के बदले उन्हें रोजगार और एक मुश्त ऐसी राशि मिल जायेगी जिससे वह व्यापार आदि कर अपनें परिवार का पालन पोषण कर सकेंगे, लेकिन उस पर जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे हैं और हालात ऐसे बन रहे हैं कि कागजों में तमाम शिकायतों के बाद किसान न्याय की आस में बैठा हुआ है।
*जानिये एसईसीएल कि कार्यप्रणाली*
एसईसीएल सोहागपुर क्षेत्र के खैरहा भूमिगत खदान के संचालन के लिये प्रबंधन द्वारा ग्राम पंचायत खैरहा व ग्राम पंचायत खन्नाथ क्षेत्र के लगभग एक सैकडा़ कास्तकारों की भूमि अधिग्रहित कर ली गई, इस अधिग्रहण को लेकर जहां किसानों नें एसईसीएल प्रबंधन का खुलकर सहयोग किया वहीं इन किसानों के साथ एसईसीएल नें अपना काम निकालते ही जमकर छलावा किया, सैकड़ों हेक्टेयर भूमि पर बकायदे जहां एसईसीएल नें अपना कार्य शुरु कर दिया वहीं आज भी किसानों को प्रबंधन से मुआवजा प्राप्त हुआ और न ही उन्हें रोजगार मिल सका।
*1155 एकड़ जमीन अधिग्रहित*
एसईसीएल सोहागपुर क्षेत्र के खैरहा भूमिगत खदान के संचालन के लिये प्रबंधन द्वारा ग्राम खन्नाथ पटवारी हल्का क्रमांक - 171 से कुल 195.999 हेक्टेयर एवं ग्राम पंचायत खैरहा पटवारी हल्का क्रमांक -203 से 171.459 भूमि का अधिग्रहण किया गया। इस प्रकार खैरहा भूमिगत खदान के लिये कुल 476.458 हेक्टेयर जिसे एकड़ में देखा जाये तो 1155.9 एकड़ भूमि 25 मार्च 2017 को कोल वैरिग एक्ट की धारा 7 (1) के तहत अधिसूचना जारी की गई, वहीं 31 अगस्त 2017 को धारा 9(1) के तहत अधिसूचना जारी की गई,जिसके बाद प्रबंधन नें 7 अक्टूबर 2017 को धारा (11) (1) को अधिसूचना जारी कर उक्त भूमि के समस्त रकवे का अधिग्रहण कर लिया। अधिग्रहण पश्चात इसकी विधिवत सूचना भी ग्राम पंचायत खन्नाथ व खैरहा को पत्र के माध्यम से देते हुये ग्राम पंचायत के सूचना पटल पर चस्पा किया गया।
*प्रबंधन का उदासीन रवैया*
किसानों कि इस अधिग्रहित भूमि के बदले तमाम सुविधायें मिलने की बजाय एसईसीएल नें किसानों से नाता ही तोड़ लिया, किसानों नें आरोप लगाते हुये बताया कि अधिग्रहण के पश्चात किसानों नें एसईसीएल कार्यालय के सैकड़ों चक्कर लगाये लेकिन न ही उन्हें मुआवजा मिला और न ही रोजगार से संबंधित कोई माकूल जवाब, किसानों नें बताया नियमानुसार उन्होनें रोजगार के लिये अपनें तमाम दस्तावेज़ भी कार्यालय में जमा किये लेकिन किसानों को न अब तक रोजगार मिल सका और न ही उन्हें मुआवजा की राशि प्राप्त हो सकी है।
*इधर जमीन हुई बंजर, जलस्रोत भी नष्ट*
कोयला खदान के लगातार संचालन से जहां दोनों ही ग्रामों के कई जलस्रोत नष्ट हो गये वहीं मूल रोजगार खेती भी जमकर प्रभावित हुई है। स्थानीय ग्रामीणों नें बताया कि उन्हें रोजगार की आस थी लेकिन वह भी बीते इतनें वर्षों में नहीं मिल सका, खेती की भूमि जल की कमी से बंजर हो गई। पीनें के पानी की समस्या से भी जूझना पड़ रहा है। मजबूर कई बेरोजगार किसान रोजगार की तलाश में पलायन करनें पर मजबूर हो रहे हैं।
*दर्जनों शिकायत,कहीं नहीं हुई सुनवाई*
किसानों नें अपनी इस समस्या से तमाम उच्च अधिकारियों सहित जनप्रतिनिधियों तक को पत्र लेख कर अवगत कराया लेकिन किसानों कि समस्या का समाधान अब तक नहीं हो सका। किसानों नें बताया कि उन्होनें केन्द्रीय कोयला मंत्री, सीएमडी एसईसीएल, स्थानीय सांसद, कमिश्नर, कलेक्टर सहित जनरल मैनेजर व सब एरिया मैनेजर एसईसीएल सोहागपुर क्षेत्र तक को अवगत कराया है,बावजूद इसके उनकी इस समस्या का समाधान अब तक नहीं हो सका है।


0 Comments