रिपोर्ट @मिर्जा अफसार बेग
*आज दिनांक 8 दिसंबर बरोज़ ईतवार सुबह नौ बजे से मौलाना आजाद कैम्पस सोहागपुर शहडोल,हातमी हास्पिटल शहडोल में सामुहिक ख़त्ना सर्कम्सिश़न का कार्यक्रम किया गया, जिसमें तकरीबन 200 बच्चों का ख़त्ना करवाया गया, शहडोल जिले से लगे हुए ग्राम से ज्यादातर लोगों ने अपने बच्चों का ख़त्ना (सर्कम्सिश़न)करवाया, बेस्ट डॉ कि टीम द्वारा सर्कम्सिश़न करवाया गया जिसमें जिला एवं बाहर के स्पेशलिस्ट सर्जन मुख्य रूप से कोटा राजस्थान, इलाहाबाद यु पी के डाॅक्टरों द्वारा ख़त्ना करवाया गया सर्कम्सिश़न का पूरा आपरेशन हातमी हास्पिटल में किया गया, मुख्य रूप से डॉक्टर मरियम के नेतृत्व में डॉक्टर इमरान डॉक्टर जफरुल इस्लाम अंसारी,तालिब खान, सद्दाम खान, बबलू सिद्दीकी, कलीम भाई, लल्लन भाई,दीप किरन रेखा ,विजय भूपेंद्र ,रुखसाना सबीना सुलोचना अनु शिव राज विद्या सोनी वॉल्यूम भैया आदि उपस्थित रहे। डाॅक्टर मरियम संचालक हातमी हास्पिटल का पूर्ण सहयोग रहा, कार्यक्रम संयोजक टीम मेम्बर श्री शानउल्लाह खान ने बताया कि, मौलाना आजाद कैम्पस में रजिस्ट्रेशन, एवं ख़ाना कि व्यवस्था कि गई है सर्कम्सिश़न (ख़त्ना) का आपरेशन,, हातमी हास्पिटल,, जयस्तंभ चौक शहडोल में किया गया ,लगभग 170 बच्चों का ख़त्ना करवाया गया, एवं सभी बाहरी लोगों को ख़ाना खिलवाया गया। ये कार्य पिछले चार सालों से किया जा रहा है अभी तक लगभग 600 से ज्यादा बच्चों का ख़त्ना किया जा चुका है, ख़त्ना ये बरसों पुरानी परंपरा है जो कि मुसलमान के आलावा ईसाई धर्म, यहुदी, आदि धर्म के लोग करते आ रहे हैं, मेडिकल साइंस भी सर्कम्सिश़न (ख़त्ना)को बहुत से बीमारी से बचाव का तरीका माना है, आम जन ईसे धार्मिक परंपराओं के रूप में जानते हैं,जबकि ऐसा इस्लामीक किताबों में कहीं उल्लेख नहीं है बल्कि इस्लाम के आखिरी ईशदुत हज़रत मुहम्मद साहब का ये तरीका था और अरब में शुरू से ये परंपरा आम थी सभी धर्म के मानने वाले ख़त्ना करवाते थे, मुस्लिम समाज भी हज़रत मुहम्मद साहब के तरीके (सुन्नत) को अपनाते हुए ये किया करवाते हैं, मुस्लिम होने के लिए या इस्लाम फाॅलो करने के लिए ख़त्ना ज़रूरी नहीं, हज़रत मुहम्मद साहब के तरीके पर अमल करते हुए ये कार्य लगभग सभी मुस्लिम करवाते आ रहें हैं,इसके अलावा विश्व प्रसिद्ध डाॅक्टर माईलक रीड ने बताया है कि वयस्क ,,खतना के लाभ,,खतना कुछ चिकित्सीय समस्याओं और बीमारियों को रोकने में मदद करता है, साथ ही चमड़ी के पीछे हटने की समस्या विकसित होने की संभावना को भी दूर करता है।
मूत्र मार्ग में संक्रमण होने की संभावना को कम करता है। यह संभोग के दौरान लिंग की चमड़ी के बैक्टीरिया के मूत्र मार्ग में वापस जाने के जोखिम को कम करके ऐसा करता है। एचआईवी संक्रमण के जोखिम को कम करता है।पुरुषों में थ्रश का खतरा कम हो जाता है और इसलिए उनकी महिला साथियों में भी थ्रश के दोबारा होने का खतरा कम हो जाता है।खतना किये गये पुरुष की महिला साथी में गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर का खतरा 5 गुना तक कम हो जाता है।
कभी-कभी पुरुषों में सामान्य, व्यावहारिक समस्याएं होती हैं, जैसे कि अत्यधिक लंबी चमड़ी, बालों का फंसना, त्वचा पर छोटे-छोटे उभार और परेशान करने वाले चकत्ते।शहर एवं शहर से लगे हुए लोग जो कि आसानी से ख़त्ना नहीं करवा पाते, बहुत से लोग कि माली हालत कमज़ोर होने कि वजह से ज्यादा खर्च नहीं कर सकते हैं उन सभी लोगों को सहुलियत के साथ आसानी से ये सुविधा प्रदान गई, समस्त पत्रकार बंधुओं, गणमान्य नागरिक एवं समाज सेवी हज़रात ने शिरक़त कि एवं समाजिक कार्य में अपना योगदान दिया, आयोजन टीम हाजी हमीदुल्ला ख़ान उल्ला भाई , डॉ मरियम, शानउल्ला खान, सुफियान खान,मुजफ्फर हुसैन,संयोजक सै जियाउल इस्लाम अध्यक्ष तहसील वक्फ कमेटी, सै महमूद अहमद सदर-जामा मस्जिद,रियाज़ अंसारी सचिव जामा मस्जिद,हाजी फतह उल्ला खान,महमुद अहमद, हाफ़िज़ अशफीयां शकील अहमद अध्यक्ष जिला वक्फ कमेटी शहडोल, मो दिलशाद उपाध्यक्ष मदरसा तालिमुल कुरान, हाजी फरीद खान सदर-जामा मस्जिद सोहागपुर,सै तारिक़ शफीं अध्यक्ष जमात ए इस्लामी हिन्द शहडोल, मोहम्मद अहमद मदरसा इकरा,व समस्त शहडोल अंजुमन के सदर एवं जिम्मेदार ने शिरक़त किया* ।।
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