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शिशु वाटिका कार्य क्रम का गौरव मयी समापन

 


रिपोर्ट @मिर्जा अफसार बेग

बिरसिहपुर पाली---- विद्या भारती सरस्वती उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बिरसिहपुर पाली में महाकौशल प्रांत के 22  जिलों के शिशु वाटिका की दीदियो का पन्द्रह दिवसीय सामान्य एवं दक्षता वर्ग  प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन कार्यक्रम बीते दिवस गरिमामयी और हर्षोल्लास महौल में संपन्न  हुआ। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में विवेक सैण्डे, विशिष्ट अतिथि अमित दवे जी, विशिष्ट अतिथि जिला पंचायत की पूर्व अध्यक्ष सुश्री ज्ञान वती सिंह , वर्ग संयोजक संतोषी दीदी, और कार्यक्रम की अध्यक्षता अनुविभागीय अधिकारी , अम्बिकेश प्रताप सिंह मंचासीन थे। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलित कर मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि और अध्यक्ष महोदय व्दारा किया गया। तत्पश्चात कार्यक्रम  में परिचय कार्यक्रम किया गया तत्पश्चात मुख्य अतिथि और अध्यक्ष का स्वागत श्री फल और अंग वस्त भेंटकर किया गया। कार्यक्रम में वर्ग संयोजक संतोषी दीदी ने स्वागत भाषण के  साथ ही कार्यक्रम का वर्ग प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया।
कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में प्रशिक्षण में सीखा गये अनुभवों को मंचन कर शानदार प्रस्तुति ने हर एक का मन मोह लिया।
वर्ग प्रशिक्षण के समापन सत्र में विशिष्ट अतिथि अमित दवे जी ने  अपने उदबोधन में बताया कि शिशु वाटिका प्रशिक्षण में शिशुओं को गतिविधि आधारित शिक्षा को बढ़ावा देने का काम विद्या भारती के व्दारा किया जा रहा है, उसी के दक्षता पूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए यह वर्ग प्रशिक्षण  का आयोजन किया गया था। आपने कहा कि शिशु वाटिका में शिशुओं को मातृत्व स्नेह जो कि वात्सल्य से परिपूर्ण हो वह हमारी शिशु वाटिका की दीदियो से मिलता है। इस  वर्ग प्रशिक्षण के पश्चात शिशु वाटिका दीदियो की गुणवत्ता में दक्षता का विकास हुआ है और अब शिशु वाटिका में शिशुओं की संख्या में वृद्धि दर्ज होगी ।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि की आंसदी से बोलते हुए विवेक सैण्डे ने कहा कि कहा कि सचमुच में शिशुओं को शिक्षा से जोडना कठिन काम है, साथ ही शिशु वह कच्ची मिट्टी है, जिससे चाहे हम चाहे जो गढ सकते हैं।  विद्या भारती ने शिशु वाटिका का शुभारंभ इसी उदेश्य की पूर्ति के लिए किया है कि हमें राष्ट्र निर्माण, गौरव शाली इतिहास, आत्म निर्भर, आत्म स्वाभिमान शिक्षा से जोड़ सकें। आपने अपने उदबोधन में बताया कि स्वतंत्रता के बाद जो शिक्षा पद्धति आयी उसमें पाश्चात्य शिक्षा को जो बल मिला , उसमें आत्म स्वाभिमान की जगह हीनता ने ले रखा था , जिसको कारण समाज से राष्ट्र प्रेम , त्याग, समर्पण भाव का सर्वथा अभाव बना हुआ था ।। इन विसंगतियों से उबरने के लिए विद्या भारती ने सरस्वती विद्यालयो की स्थापना कर सर्व मुखी शिक्षा का शुभारंभ किया है। आज देश के सभी प्रांतों में पूर्व से लेकर पशिचम तक और उत्तर से लेकर दक्षिण तक विद्या भारती  ने बिषम परिस्थितियों में विविध प्रकार से शिक्षा का विस्तार कर  काम कर रही है।विद्या भारती के माध्यम से आठ लाख छात्र और चालीस हजार शिक्षक - शिक्षिकाये जुडी हुई है । आपने साफ तौर पर कहा कि हमारे शिक्षा के केन्द्र न्यूनतम शुल्क लेकर गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्रदान करने का काम कर रही है। इसमें हमें जो समाज का जो सहयोग मिला है वह अंत्यंत सराहनीय है।
कार्यक्रम के अध्यक्ष अम्बिकेश प्रताप सिंह ने कहा कि शिशुओं में जो कौतूहल  होता है वह वयस्कों और वृद्ध जनों में नहीं होता, अगर हम शिशुओं में कौतूहल पैदा कर दे कि आकाश में तारे कैसे टिमटिमाते है , पृथ्वी गोल है लेकिन हमे चपटी दिखाई देती है, ऐसे अनेक कौतूहल भरे सवाल है, जिसके प्रति अगर आपने शिशुओं के मन में जज्बा पैदा कर दिया तो आपने एक वैज्ञानिक पैदा कर दिया। शिशुओं को जो मातृत्व भरा प्यार- दुलार शिशु वाटिका दीदियो से मिलता है वह अतुलनीय है और इसके सहारे हम सब वह हासिल कर सकते हैं जिसकी वास्तव में नितांत जरूरत है।
अनुविभागीय अधिकारी ने नयी शिक्षा नीति के सन्दर्भ में बताया कि वह भी हमे मातृ भाषा आधारित शिक्षा पद्धति को लागू किया है। हम उसके आधार पर सब कुछ सीख सकते हैं, और उसके जरिये बहुत कुछ कर सकते हैं।
अंत में आभार प्रर्दशन प्रभात सिंह ने करते हुए वर्ग प्रशिक्षण के लाभ के बारे में अपने विचार व्यक्त किया।


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