रिपोर्ट @मंजूर मंसूरी
जिला शहडोल अंतर्गत केशवाही इलाका इन दिनों सरकारी खजाने की खुली लूट का अड्डा बन चुका है। बुढार थाना क्षेत्र के तहत आने वाली हरीं और कटना नदियां बेलगाम रेत माफियाओं के आतंक से कराह रही हैं। यह सिर्फ अवैध खनन नहीं, बल्कि क्षेत्र की प्राकृतिक संपदा का निर्मम चीरहरण है, जिसके चलते सरकारी राजस्व को प्रतिदिन लाखों, और वार्षिक रूप से करोड़ों रुपये का चूना लग रहा है। सूत्रों के अनुसार अवैध साम्राज्य का संचालन माफिया और उसके गुर्गे कर रहे हैं, जिन्हें कथित तौर पर क्षेत्र के प्रभावशाली राजनेताओं का संरक्षण प्राप्त है, रात 10 बजे शुरू होता है लूट का कारोबार,
चौकी से 7 किमी दूर खुली खदान
केशवाही चौकी से महज 5 से 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हरीं और कटना नदियां अब रेत तस्करों के लिए खुली खदानों में बदल चुकी हैं। ? समय रात के ठीक दस बजते ही अवैध रेत चोरी का धंधा पूरे शबाब पर आ जाता है। ? परिवहन ट्रैक्टर और डंपर गाड़ियों का बेखौफ काफिला रातभर सड़कों पर दौड़ता है। न दुर्घटना का डर, न प्रशासनिक कार्रवाई का भय, सवाल यह है कि केशवाही चौकी की नाक के नीचे यह साम्राज्य कैसे फल-फूल रहा है, वे कौन से शक्तिशाली सूत्रधार हैं, जिनके इशारे पर कानून को ठेंगा दिखाया जा रहा है।
भाजपा नेता की संरक्षण की छाया कानून को चुनौती देते माफिया स्थानीय सूत्रों के अनुसार, अवैध खनन में लिप्त इन माफियाओं के हौसले
राजनीतिक संरक्षण के कारण बुलंद हैं, ? गंभीर आरोप यह बताया जाता है कि केशवाही के ही एक लग्जरी गाड़ियों में सायरन लगाने वाले भाजपा नेता के संरक्षण में व्यक्ति आस-पास के भोले-भाले ग्रामीण युवाओं को पैसे का लालच देकर इस गैरकानूनी धंधे में धकेल रहे हैं, और ? इन माफियाओं को न किसी अधिकारी का डर है, न पुलिस का। वे खुलेआम घूमकर अपना अवैध कारोबार चला रहे हैं, जिससे आम जनता में भय और आक्रोश की स्थिति है।
नदियां छलनी जल संकट का गहराता खतरा
अवैध खनन ने पर्यावरण और जल स्रोतों पर गंभीर संकट खड़ा कर दिया है, ? गहरे खड्डे रेत चोरों ने नदियों के किनारों पर खनन की सभी सीमाएं तोड़ते हुए विशालकाय गड्ढे खोद डाले हैं, ? जल स्तर पर प्रभाव, जल स्रोतों के मुहानों तक माफियाओं की पहुंच ने क्षेत्र के भूजल स्तर पर गहरा नकारात्मक प्रभाव डाला है, जो आगामी गर्मी के मौसम में पानी के गंभीर संकट का कारण बन सकता है।
करोड़ों का राजस्व स्वाहा, दिखावे की कार्रवाई क्यों
अनुमान है कि इन नदियों के मुहानों से प्रतिदिन 100 से 200 ट्रॉली अवैध रेत का परिवहन होता है। इसका सीधा अर्थ है कि सरकार को प्रतिदिन लाखों रुपए का राजस्व नुकसान हो रहा है, जो सालाना करोड़ों में बदल जाता है। ? एक तरफ सरकारी खजाने की क्षति हो रही है, वहीं दूसरी ओर रेत माफियाओं का मनोबल आसमान छू रहा है। ? हालांकि पूर्व में प्रशासन ने कार्रवाई की थी, लेकिन वर्तमान में यह केवल दिखावे की कार्रवाई बनकर रह गई है। कभी-कभार कुछ ट्रैक्टर पकड़ने के बाद भी खनन पर लगाम नहीं लग पा रही है।


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