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दो दशक बाद भी सांस को नहीं मिली आशा कार्यकर्ता

 




रिपोर्ट @संतोष कुमार मिश्रा

स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही 

बिरसिंहपुर पाली ---राष्टीय  ग्रामीण स्वास्थ्य  मिशन के तहत  भारत सरकार  ने गांवों तक स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार के लिए आशा कार्यक्रम की शुरुआत वर्ष 2005 में रखते हर गांव में सोशल हेल्थ एक्टिविस्ट वर्कर गाँव गाँव में रखा जाना था। यह आशा कार्यकर्ता  ग्रामीण स्वास्थ्य  प्रणाली की पहली लाइन के रूप में काम करती है, लेकिन खेद जनक कहा जाये की उमरिया जिले में आज भी ऐसे गाँव है जहाँ पर दो दशक बीत जाने के बाद भी आशा कार्यकर्ता की नियुक्ति नही की जा सकी। 

उमरिया जिले का आदिवासी विकास खंड पाली के कठई ग्राम पंचायत का बैगा  गाँव सांस जहाँ पर शत प्रतिशत बैगा निवास रत वहाँ भारत सरकार के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की नजर आज तक नहीं पहुंची। आशा कार्यकर्ता की नियुक्ति को लेकर अनेकों  बार ग्राम सभा की बैठक में प्रस्ताव पारित कर आशा कार्यकर्ता की नियुक्ति संबंधित प्रस्ताव और मूल आवेदन सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पाली में बी पी एम जियाउद्दीन खान को देकर आवेदन किया गया है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने इस ओर ध्यान देना उचित नहीं समझा। आश्चर्य जनक कहा जाये की आशा कार्यक्रम को दो दशक पूरे होने के बाद आज तक आशा कार्यकर्ता की नियुक्ति न हो पाना विभागीय अधिकारियों की कार्यशैली को उजागर कर रही है की आखिर कार सांस में आशा कार्यकर्ता की नियुक्ति में और कितने दशक लगेगे ।

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