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गंदगी के बीच मनाया गया कोयलांचल नगरी में दीपावली का त्यौहार

 




मोहम्मद शकील 

सोहागपुर एरिया अंतर्गत आने वाला कोयलांचल नगरी अमलाई और विवेकनगर जो कि दीपावली के त्यौहार से पूर्व जहां लोग घरों की साफ-सफाई कर आसपास को स्वच्छ रखने का कार्य प्रारम्भ कर देते हैं। वहीं एस.ई.सी.एल. सोहागपुर एरिया अन्तर्गत भी सफाई के नाम पर लाखों करोडो़ं रूपये का टेंडर जारी कर सफाई का काम ठेकेदार के माध्यम से कराया गया किन्तु कोयलांचल नगरी अमलाई में साफ सफाई के नाम पर स्थिती दिवाली के बाद भी जस कि तस बनी रही। लिहाजा लोगों को मजबूरन गंदगीयों के बीच महापर्व दिवाली मनाना पडा़। यहां कि मलबा युक्त नालियां कीचडो़ं से अब तक बजबजा रही है। जिससे अनुमान लगाया जा सकता है। कि काॅलरी प्रबंधन के करोड़ों का टेंडर महज निराधार साबित हो गया। एक ओर लोग जहां घरों की साफ-सफाई में जुटे रहे, वहीं दूसरी ओर घर के सामने और आसपास में बनी नालिया बज-बजाती दिखाई दी, नालियों से निकलने वाले मलबे तक को हटवाना मुनासिब नही समझा गया सम्बंधित ठेकेदार द्वारा, अब तक कूढो़ं का ढेर ऐसे ही पडा़ हुआ है जिसे गाय खाती हैं। अनुमान लगाना जरा भी मुस्किल नही है कि इन कचरों के ढेर को खाने से गाय सहित अन्य मवेशियों के स्वास्थ्य जीवन पर कितना असर पडे़गा। एक ओर देश के प्रधानमंत्री जहां स्वच्छ भारत स्वच्छ अभियान पर जोर देते हैं। वहीं दूसरी ओर स्वच्छता के नाम पर एस.ई.सी.एल से करोड़ों का टेंडर लेकर तथा कथित ठेकेदार खाना पूर्ति कर मलाई छान रहे हैं। कचरों के ढेर एवं गंदगी के अम्बार दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है जिससे लोगों को तरह-तरह की बीमारियों जैसे डेंगू मलेरिया से भी ग्रसित होना पड़ रहा है। जिस पर काॅलरी प्रबंधन को ध्यान देने कि आवश्यक्ता है।

बजबजाती नालिया दुर्गंध के बीच रहने को मजबूर  कर्मचारी

देखा जाए तो एसईसीएल के द्वारा समय-समय पर टेंडर निकाल कर कालोनियों में बनी नालियों और गंदे कूड़े कचरे को सफाई का टेंडर निकाला जाता है लेकिन बंगवार क्षेत्र अंतर्गत आने वाली कॉलोनी विवेक नगर अमलाई मानो काफी लंबे समय से इसकी सफाई ना की गई हो इस तरह कालोनियों के बीचो-बीच बने नालिया दुर्गंध के साथ बजबजती हुई दिखाई दे रही हैं इससे तो ऐसा भी स्पष्ट होता है कि कालोनियों की साफ-सफाई महज दफ्तरों के कागजों तक ही की गई हैं जो कि काफी लंबे समय से विवेक नगर की नालियां सफाई ना हुई हो ऐसी बत्तर हालात में और दुर्गंध में जीने को मजबूर हैं कॉलरी कर्मचारी जहां सड़क के किनारे नाली के कचरे का ढेर व खुली हुई नाली से पैदा होने वाली बीमारियों से भी कर्मचारी ग्रसित हो रहे हैं जिस पर न तो ठेकेदार को कोई फर्क पड़ता है और न ही आला अधिकारियों को जो बिना जांच किए ही वाह सफाई का निरीक्षण किए बिना लाखों का बिल पास कर देते हैं लेकिन गंदगी जस की तस कालोनियों के बीच दम तोड़ते रहती है और ठेकेदार आनन-फानन में अपना बिल निकाल कर अपना मुंह मोड़ लेते हैं जिससे इस दुर्गंध के बीचो बीच रहने को मजबूर कॉलोनी कर्मचारी करेगी जो क्या कहीं जर्जर हालत का मकान तो वही बजबजाती नालियां यह साफ दिखाई दे रहा है कि स्वच्छ भारत स्वच्छ अभियान भी अब दम तोड़ता दिख रहा है जो केवल अफसरों के कागजों पर ही सफाई की जा रही है !



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