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खंड शिक्षा कार्यालय में वित्तीय अनियमितताओं का जिम्मेदार ?

 


रिपोर्ट @मिर्जा अफसार बेग

उच्च न्यायालय का आदेश रद्दी की टोकरी में

उमरिया ---उमरिया जिले के पाली विकास खंड शिक्षा कार्यालय में वित्तीय अनियमितताओं के कारण चर्चा में आयी पाली खंड शिक्षा कार्यालय में अभी भी वित्तीय अनियमितताओं का दौर जारी है । बताया जाता है कि वित्तीय अनियमितता के फेर में हटाये गये खंड शिक्षा अधिकारी राणा प्रताप सिंह कों सहायक संचालक के पद पर तैनात करने के बाद विकास खंड शिक्षा अधिकारी के पद पर सरिता जैन को पदस्थ किया गया है ,जो कि पहले से ही मूल रूप से हाई स्कूल गोरईया विद्यालय में पदस्थ होते हुए ,एकलव्य विद्यालय पाली , कन्या शिक्षा परिसर पाली में वित्तीय दायित्व का प्रभार सम्हाल रही थी  ,राणा प्रताप सिंह को हटाने के बाद खंड शिक्षा अधिकारी का दायित्व भी सरिता जैन को दिया गया है । इस आदेश को पारित करने के बाद जिले भर मे चर्चाओं का दौर जारी है कि जिले के आलाकमान पद पर बैठे प्रशासनिक अधिकारियों ने जिस तरह चुन -चुन के सरिता जैन को प्रभार दिया जा रहा है उससे लगता है कि जैन होने का पूरा लाभ उन्हें मिल रहा है, सरिता जैन के मामले के अलावा ऐसे मामले कम ही प्रकाश में आते हैं । संवैधानिक पदों पर आसीन होने के बाद जाति, पंथ, धर्म , समुदाय , और लिंग आदि सभी बातों से कलेक्टर जैसे दायित्वों पर बैठे प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यशैली से कोसों दूर रहती है लेकिन यह मामला अटकलों में बना हुआ है है ,जिसे सहसा नकारा नहीं जा सकता  क्योंकि जिस तरह से एक ही अधिकारी को चार कार्यालयों का आहरण संवितरण का अधिकार दिया गया है,जिनको देखकर लोगों की जुबानी भरी अटकलों के समर्थन में यहीं तर्क दे रहे हैं । कलेक्टर उमरिया के व्दारा राणा प्रताप सिंह को खंड शिक्षा अधिकारी को सहायक संचालक बनाये जाने के विरूद्ध राणा प्रताप सिंह ने कलेक्टर उमरिया के उक्त आदेश को अवैध मानते हुए उच्च न्यायालय जबलपुर की शरण ली गई थी, जिस पर माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर ने कलेक्टर उमरिया के आदेश को नियम विरुद्ध मानते हुए उक्त आदेश को रद्द कर दिया है ,जिसका आदेश कलेक्टर उमरिया को मेल व्दारा 02 मई सीधे उच्च न्यायालय जबलपुर व्दारा प्रेषित किया जा चुका है , उक्त आदेश की प्रति खंड शिक्षा अधिकारी सरिता जैन को भी मेल आई डी से प्रेषित किया गया है , फिर भी उच्च न्यायालय जबलपुर के उक्त आदेश का पालन नहीं हो पा रहा है । ध्यान देने योग्य है कि सरिता जैन को खंड शिक्षा कार्यालय में पदस्थ रहते हुए कमिश्नर ने वित्तीय अनियमितता मे दोषी पाते हुए निलंबित कर दिया गया था , यद्यपि उन्होंने जांच को अपने पक्ष में करार कराते हुए दोष मुक्त का तमगा हासिल कर ली थी , फिर भी एक ही अधिकारी पर चार कार्यालयों का दायित्व सौंपने से वित्तीय अनियमितता की शंकाएं बढ़ जाती है। उल्लेखनीय है कि उमरिया जिले में उच्च न्यायालय जबलपुर के आदेश की अवहेलना जिस तरह से की जा रही है वह अपने आप में प्रशासन की घोर लापरवाही को उजागर कर रहा है । अपेक्षा है कि उमरिया जिले का आलाकमान खंड शिक्षा अधिकारियों के पदस्थापना संबंधित आदेशों का स्वमेव मूल्यांकन करते हुए विधि संगत आदेश पारित करेंगे , ताकि वित्तीय घोटाले का दुष्चक्र से बचाया जा सके ।


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