रिपोर्ट @मिर्जा अफसार बेग
अनूपपुर।वर्ष 2026 तक दैनिक उपयोग की विदेशी उत्पादों के 50 प्रतिशत आयात को स्वदेशी उत्पादन से प्रतिस्थापित कर भारत में लगभग ₹4 लाख करोड़ की अर्थ सृजन के साथ 3–4 करोड़ रोजगारों का प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष सृजन कर विकसित भारत हेतु 2047 तक पूर्ण रोजगारयुक्त एवं गरीबीमुक्त भारत के लक्ष्य को साकार करने और वैश्विक नेतृत्वकर्ता राष्ट्र के रूप में स्थापित करने के विषय पर चल रहे विमर्श कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्वावलंबी भारत अभियान के अखिल भारतीय संचालन समिति सदस्य तथा स्वदेशी शोध संस्थान के राष्ट्रीय सचिव डीन प्रो. विकास सिंह ने कहा कि स्वदेशी सुरक्षा एवं स्वावलंबन अभियान 140 करोड़ भारत परिवार की स्वाभिमान, रोजगार, समृद्धि और सुरक्षा का आधारस्तंभ है, यह अभियान 2047 तक पूर्ण रोजगारयुक्त एवं गरीबीमुक्त भारत बनाने का ब्रह्मास्त्र है। दैनिक जीवन में विदेशी उत्पादों के स्थान पर स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग शुरू करने से करोड़ों रोजगारों का सृजन किया जा सकता है। स्वदेशी भावनात्मक अपील नहीं, बल्कि रणनीतिक और व्यावहारिक समाधान है। हर विदेशी वस्तु पर खर्च किया गया रुपया भारत की आंतरिक अर्थव्यवस्था को कमजोर करता है और विदेशी ताकतों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाता है, जो कई बार भारत विरोधी रुख अपनाते हैं।
*भारत में बन सकने वाली रोज़मर्रा की वस्तुओं के लिए 200 अरब डॉलर का आयात–आर्थिक आत्मघात*
प्रो. विकास ने आयात-निर्यात के आंकड़ों के माध्यम से बताया कि भारत ने वर्ष 2023–24 में केवल दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर ही 200 अरब डॉलर से अधिक का आयात किया है। इसमें इलेक्ट्रॉनिक्स, प्रोसेस्ड फूड और बेवरेजेस, कपड़े व जूते, कॉस्मेटिक्स व पर्सनल केयर, कृषि रसायन और विविध घरेलू वस्तुएं जैसे खिलौने व स्टेशनरी शामिल हैं। यह सभी वस्तुएं भारत में सहजता से बन सकती हैं। इन रोज़मर्रा की वस्तुओं को भारत के युवाशक्ति बनाने लगे तो ₹20 लाख करोड़ घरेलु व्यापर के साथ 8-9 करोड़ रोजगारों का प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष सृजन किया जा सकता है जिसमें छोटे उद्यम, ग्रामीण उद्योग, महिला स्व-सहायता समूह, आदिवासी उत्पादक और स्टार्टअप्स को सीधा लाभ मिलेगा। साथ ही लघु एवं कुटीर उद्योग को फिर से पुनर्जीवित किया जा सकेगा और विकसित भारत 2047 का रास्ता यहीं से जाता है।
*वैश्विक बाजार के लिए भारत के पास अत्यधिक निर्यात की संभावनाएँ है*
प्रो. विकास ने आगे बताया कि वैश्विक बाजार में भी भारत के पास अत्यधिक निर्यात संभावनाएँ हैं। उदाहरण स्वरूप, आयुर्वेदिक उत्पादों का वैश्विक बाज़ार 12 अरब डॉलर का है जिसमें भारत की हिस्सेदारी केवल 3% है। वस्त्र, प्रोसेस्ड फूड, चमड़ा उत्पाद, और नवीकरणीय ऊर्जा सहित 30 क्षेत्रों में निर्यात का योगदान सीमित है, जबकि भारत में सर्वाधिक युवाशक्ति उपलब्ध है। भारत इन क्षेत्रों में 15–30% वैश्विक बाजार में हिस्सेदारी भी हासिल कर ले, तो भारत का वार्षिक निर्यात बहुत आगे पहुँच सकता है और 5–7 करोड़ रोजगारों की संभावना केवल निर्यात आधारित उद्यमिता से आ सकती है। भारत के गांव, कस्बों, जनजातीय क्षेत्रों और शहरी झुग्गियों में प्रतिभा और परिश्रम की कोई कमी नहीं है। हमें केवल इन क्षेत्रों में स्थानीय संसाधनों, कौशल विकास, बाजार से जुड़ाव और स्वदेशी उत्पादों के उपयोग को प्राथमिकता देकर मेक-इन-इंडिया तथा मेड-फॉर-वर्ल्ड को साकार करना है।
*राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से सभी शैक्षिक संस्थाएँ, व्यापारिक-औद्योगिक प्रतिष्ठान एकजुट हो-प्रो मोहन कोल्हे, नोर्वे*
कार्यक्रम को ऑनलाइन माध्यम से संबोधित करते हुए अग्दर विश्वविद्यालय नार्वे के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो मोहन कोल्हे ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने कौशल विकास और उद्यमिता को शिक्षा का मुख्य आधार बनाया है। भारत के लाखों विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं और युवाओं को 'स्वदेशी सुरक्षा एवं स्वावलंबन' पर शोध एवं शिक्षा देकर भारत को परम वैभव और विश्वगुरु बनाया जा सकेगा, युवा पीढ़ी को केवल उपभोक्ता नहीं, बल्कि उद्यमी बनाना होगा, आज विदेशी कंपनियाँ भारत के घर-घर में रोजमर्रा की वस्तुओं के माध्यम से प्रवेश कर चुकी हैं—टूथपेस्ट, साबुन, शैंपू, कपड़े, खिलौने, भोजन, इलेक्ट्रॉनिक्स—इन सबके द्वारा न केवल हमारी अर्थव्यवस्था का धन बाहर जा रहा है, बल्कि विदेशी शक्तियाँ आर्थिक रूप से सशक्त होकर हमारी संप्रभुता को चुनौती भी दे रही हैं। व्यापारिक-औद्योगिक, धार्मिक, सामाजिक, शैक्षिक सभी प्रतिष्ठान और समाज के प्रत्येक वर्ग इसे गंभीरता से समझे कि हमारी छोटी-छोटी उपभोग की आदतें, कैसे बड़ी विदेशी ताकतों को पोषण दे रही हैं। उन्हीं आदतों में 'स्वदेशी विकल्प' स्थापित करके भारत को मजबूत करना है।
*9 अगस्त से ‘विदेशी कंपनियाँ भारत छोड़ो जनआंदोलन’ शुरू होगा*
प्रो. मोहन कोल्हे ने आगे बताया की 9 अगस्त 2025 से ‘विदेशी कंपनियाँ भारत छोड़ो जनआंदोलन’ राष्ट्रव्यापी स्वदेशी अगस्त संक्रांति के रूप में आयोजित किया जाएगा। अभियान विदेशी कंपनियों द्वारा भारत की अर्थव्यवस्था पर किए गए प्रभुत्व को चुनौती देगा, युवाओं को नौकरी के पीछे नहीं, बल्कि व्यवसाय और उद्यमिता की ओर अग्रसर करेगा, दुकानदारों को स्वदेशी उत्पादों की बिक्री के लिए संकल्पित करेगा तथा स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालयों के छात्रों में ‘स्वदेशी स्वीकार, विदेशी बहिष्कार’ और ‘हर घर स्वदेशी, हर युवा उद्यमी’ का आगाज करेगा। प्रो. कोल्हे ने युवाओं और समाज के सभी वर्गों से आह्वान करते हुए कहा कि अब समय आ गया है जब हम विदेशी कंपनियों को आर्थिक समर्थन देना बंद करें और स्वदेशी को अपनाकर भारत को आत्मनिर्भर, रोजगारयुक्त और आर्थिक रूप से स्वाभिमानी राष्ट्र बनाएं।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से महाकौशल प्रांत युवा आयाम प्रमुख डॉ विनोद वर्मा, जिला संयोजक डिंडोरी हरिश्चंद्र विश्वकर्मा, शोध विद्वान चिन्मय पांडे, खेलन ओरके, हीरा सिंह उद्दे, ओमप्रकाश पाठक, स्वदेशी शोध संस्थान के संपर्क एवं विस्तारकार्य संगठक आलोक कुमार सहित सैकड़ो युवा उपस्थित थे।
0 Comments