रिपोर्ट @मिर्जा अफसार बेग
बिजुरी। नगर के स्थानीय संत जोसेफ विद्यालय परिसर में कल पारंपरिक और सांस्कृतिक उत्सव हरेली पर्व का भव्य आयोजन किया जाएगा। विद्यालय प्रबंधन ने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए तैयारियां पूर्ण कर ली हैं। बच्चों से लेकर शिक्षक तक, सभी उत्साहपूर्वक इस आयोजन में भाग लेने को तैयार हैं। हरेली पर्व छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहरों में से एक प्रमुख पर्व है, जो मुख्यतः कृषि पर आधारित है। इसे श्रावण मास की अमावस्या को मनाया जाता है और यह किसानों के प्रति सम्मान और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक है।
विद्यालय प्रबंधन की ओर से मिली जानकारी के अनुसार, इस वर्ष हरेली पर्व को विशेष रूप से पर्यावरण संरक्षण और सांस्कृतिक जागरूकता के उद्देश्य के साथ मनाया जाएगा। कार्यक्रम की शुरुआत सुबह 10-30 बजे विद्यालय प्रांगण में पारंपरिक पूजा अर्चना से होगी, जिसमें विद्यालय के प्राचार्य, शिक्षकगण और अभिभावक शामिल होंगे। विद्यार्थियों द्वारा हल, कुदाल, बैलगाड़ी जैसे कृषि यंत्रों की प्रतीकात्मक पूजा की जाएगी।
कार्यक्रम के दौरान छात्रों द्वारा पारंपरिक लोकगीत, नृत्य और हरियाली गीत प्रस्तुत किए जाएंगे। विशेष आकर्षण के रूप में नुक्कड़ नाटक के माध्यम से हरेली पर्व का ऐतिहासिक और सामाजिक महत्व दर्शाया जाएगा। विद्यालय के कक्षा 6 से 12वीं तक के छात्र-छात्राएं इस अवसर पर पारंपरिक वेशभूषा में नजर आएंगे।
हरेली पर्व के तहत वृक्षारोपण अभियान भी चलाया जाएगा। विद्यालय परिसर और आसपास के क्षेत्र में सैकड़ों पौधे लगाए जाएंगे। बच्चों को पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी का भाव सिखाने के लिए शिक्षकों द्वारा विशेष व्याख्यान भी दिया जाएगा। विज्ञान शिक्षक के द्वारा "हरियाली और हमारा भविष्य" विषय पर जानकारी दी जाएगी।
विद्यालय की प्राचार्या टोमी थामस ने बताया कि “हरेली पर्व हमारे बच्चों को अपनी जड़ों से जोड़ने और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाने का एक बेहतरीन अवसर है। यह कार्यक्रम न सिर्फ एक त्योहार है, बल्कि यह हमारी संस्कृति, खेती-किसानी और प्रकृति के साथ तालमेल की एक जीवंत मिसाल है।”
कार्यक्रम में बच्चों के लिए पारंपरिक खेल प्रतियोगिताएं जैसे बेंड़िया दौड़, घोटुल नृत्य और रस्साकशी का भी आयोजन किया जाएगा। विजेताओं को पुरस्कार भी वितरित किए जाएंगे। आयोजन को लेकर विद्यार्थियों और अभिभावकों में विशेष उत्साह देखा जा रहा है।
विद्यालय द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम निश्चित रूप से नयी पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने और पर्यावरण संरक्षण के प्रति सजग करने की दिशा में एक सराहनीय कदम साबित होगा। कल का दिन विद्यालय में हरियाली, संस्कृति और आनंद का संगम लेकर आएगा।
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