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बिजुरी में ‘शराब विकास’ का अंधेरा: दीपक की रौशनी में बुझती पीढ़िया

 


रिपोर्ट @मिर्जा अफसार बेग

बिजुरी। कभी कोयला उत्पादन और श्रमशक्ति की पहचान रहा बिजुरी नगर अब ‘विकास’ की उस राह पर नहीं है, जिसकी अपेक्षा क्षेत्रवासियों ने की थी। यहां अब दीपक की रोशनी में एक अलग ही किस्म का "विकास" फल-फूल रहा है— शराब का विकास।

नगर के कई हिस्सों में शराब ठेकों की बेतरतीब मौजूदगी और खुलेआम बिक्री ने सामाजिक संरचना को हिला दिया है। हालात ऐसे हैं कि शराब का सेवन अब किसी विशेष वर्ग तक सीमित नहीं रह गया— अपितु हर आयु वर्ग इसका शिकार हो रहा है। युवा हों या अधेड़, शराब ने सबको अपनी गिरफ्त में ले लिया है।

*सवाल उठते हैं— आखिर कहां है आबकारी विभाग?पुलिस प्रशासन क्यों मौन है?*

ऐसा प्रतीत होता है कि शराब ठेकेदारों पर किसी "ऊपरी मेहरबानी" की छाया है, जिसके चलते न तो नियमों की परवाह की जा रही है और न ही समाजिक जिम्मेदारियों की। शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं के मोर्चे पर पिछड़ता जा रहा बिजुरी, अब नशे के मकड़जाल में उलझ रहा है। रोजगार के अभाव में युवाओं का एक बड़ा हिस्सा आज नशे की गिरफ्त में है, और यह स्थिति आने वाले समय में भयावह हो सकती है।

समाजसेवी संगठनों और जागरूक नागरिकों की भी जिम्मेदारी है कि वे इस मुद्दे पर आवाज़ उठाएं। यदि अब भी समय रहते कार्रवाई नहीं की गई, तो बिजुरी अपने सुनहरे अतीत से पूरी तरह कटकर अंधेरे की ओर बढ़ जाएगा।

 *"बिजुरी का सवाल अब सिर्फ विकास का नहीं, बल्कि अस्तित्व का है।"*



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