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शासकीय भूमि के नक्शा तरमीम के नाम पर राष्ट्रीय राजमार्ग पर करोड़ों का खेला

 


रिपोर्ट @संतोष कुमार मिश्रा 

राजस्व अमले की कार्यशैली से भू माफियाओं के हौसले बुलंद

उमरिया ---राष्टीय राजमार्ग की अनमोल भूमि पर राजस्व अमले के कतिपय अधिकारी और कर्मचारियों की नक्शा तरमीम की  कार्यवाही  से जिले में व्यापक स्तर पर भष्ट्राचार किये जाने की शिकायत प्रकाश में आयी है।राजस्व कर्मचारियों की इस कमाऊ नीति के चलते आज भी राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे के मूल भू स्वामियों की इस नक्शा तरमीम के दंश झेल रहे किसान अदालतों के चक्कर लगाते देखे जा रहे हैं। ऐसा ही एक  अति संवेदनशील मामला राष्ट्रीय राजमार्ग का घुनघुटी बाजार का सामने आया है, जिसमें शासकीय भूमि का नक्शा तरमीम कर कुछ भू माफियाओं को  उपकृत किया गया है,बताया जाता है कि  इस मामले में  तहसील दार की सह पर पटवारी ने चौडाई को लंबाई में तब्दील कर पचास फीट की भूमि को दो सौ फीट में तब्दील कर दिया गया है।ध्यान देने योग्य है की घुनघुटी राष्ट्रीय राजमार्ग मुख्य बाजार से लगी  शासकीय  भूमि पर अतिक्रमण का मामला पिछले एक महीने से समाचार की सुर्खियों में बना हुआ था, जिसपर राजस्व अमले के अधिकारियों ने मामले में वैधानिक कार्यवाही भी की गयी, लेकिन कार्यवाही के नाम पर राजस्व के कतिपय अधिकारी और मैदानी कर्मचारियों ने जो कमाल किया वह  जानकर सभी हतप्रभ रह गयें।

मालूम होवे की घुनघुटी के राष्ट्रीय राजमार्ग और ग्राम पंचायत से लगी भूमि के  आराजी खसरा नंबर 357 जिसमें श्याम लाल वर्मा जो की वर्ष 1990 से काबिज कास्त है जिसमें  से 0.202 हेक्टेयर भूमि का भू अधिकार दिया गया था, इस भूमि की राष्ट्रीय राजमार्ग से लगभग 50 फीट भूमि चौडाई के मान से दी गई थी, जिस भूमि पर श्याम लाल वर्मा जी बकायदा मकान बना कर पीछे तक काबिज कास्त कारी करते आ रहें हैं, इसी शेष शासकीय भूमि पर भूपेंद्र सिंह नर्मदा सिंह के साथ  अन्य लोगों के काबिज होने का शासकीय अभिलेख दर्ज पाया जाता है।इसी भूमि पर श्याम लाल के अन्य भाई लोगों ने भी बाद में कब्जा कर लिया है, और जब अतिक्रमण की कार्यवाही शुरू हुई तो हल्का पटवारी ने नक्शे में 50 फीट चौडाई के स्थान पर 200 फीट अर्थात तीन गुना बढ़ा दिया गया है और पीछे की भूमि को शासकीय घोषित कर दिया। हल्का पटवारी की इस कार्यवाही से शासकीय भूमि पर अतिक्रमण का रकबा और बढ गया। 

राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे की यह भूमि जब भू स्वामित्व की घोषित कर दी गई, तब पीछे की भूमि को देखने, सुनने और लड़ाई लडने, वाला कोई नहीं बचता है।यही वजह है की राजस्व के अमले ने अतिक्रमण कारियों को लाभ पहुचाने के लिए यह करतब कर दिया की आगे सब कोई शांत हो जाये।

उल्लेखनीय है की इस आराजी खसरा नंबर 357 में अन्य कब्जा धारियों के नाम पर भू अभिलेखों में दर्ज पायी जाती है।

शासकीय भूमि का नक्शा तरमीम कर भू - माफियाओं को लाभ पहुंचाने के लिए राजस्व के मैदानी अमले ने जो नियम विरूद्ध कार्य किया है, वह निश्चित ही जांच का हिस्सा है। राजस्व अमले के वरिष्ठ अधिकारियों से अपेक्षा है की इस मामले की निष्पक्ष  जाँच कर वैधानिक कार्यवाही करने की मांग की गयी है ‌


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