मिर्ज़ा अफसार बेग
सोडा फैक्ट्री प्रबंधन के आला अधिकारियों द्वारा अप्रेंटिसशिप करवाने के नाम पर रिश्वत का खेल खेला जा रहा है इलेक्ट्रिक ट्रेड में अप्रेंटिसशिप करवाने के नाम पर छात्र आकाश गुप्ता से बकायदे प्रबंधन के एचआर अरविंद शुक्ला ने अपने फूफा सुरेंद्र प्रसाद त्रिपाठी के भारतीय स्टेट बैंक के अकाउंट में जिसका खाता क्रमांक 32304812626 एवं IFSC कोड SBIN0009097 है जिस पर अकाश गुप्ता ने ₹25000 की राशि डलवाई है बेरोजगारी का आलम यह है कि अप्रेंटिसशिप के नाम पर भी बेरोजगार युवा 25000 तक की बड़ी राशि भी देने को तैयार हो जाते हैं आपको बता दें कि नौकरी लगवाने के नाम पर रिश्वतखोरी के आरोप पहले भी प्रबंधन के एचआर पर लगते रहे हैं लेकिन शातिर अंदाज वाले एच आर शुक्ला जी द्वारा सुविधा शुल्क लेने के लिए अपने रिश्तेदार फुफा सुरेंद्र को तय किया था व उन्हीं के माध्यम से रिश्वतखोरी का पैसा लिया करता था जिसका खुलासा पैसा देने वाले छात्र आकाश गुप्ता का ऑडियो क्लिप व अकाउंट स्टेटमेंट से हुआ है हालांकि भारत 24 न्यूज़ चैनल इस वायरल ऑडियो रिकॉर्डिंग की पुष्टि नहीं करता है पर ऐसे और भी रिकॉर्डिंग है जो के प्रबंधन के एचआर अरविंद शुक्ला की पोल खोल कर रख देने वाले हैं अब सवाल यह उठता है कि इतने दिनों से सोशल मीडिया पर ऑडियो रिकॉर्डिंग वायरल तो हो रही है पर प्रबंधन अभी भी एक्शन मूड में नजर नहीं आई सूत्रों के हवाले से खबर तो यहां तक भी है कि कुछ ठेकेदारों से ऑडिट के नाम पर मोटी रकम तक वसूली जाती है अब देखना यह है कि रोजगार के नाम पर लूटने वाले छात्रों को प्रबंधन न्याय दिला पाता है कि नहीं और ऐसे बेरोजगार छात्रों को लूटने वाले अधिकारियों पर प्रबंधन किस तरह की कार्यवाही करता है उन्हें बाहर का रास्ता दिखाता है या फिर महज एक दिखावा कर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है ।
आखिर प्रबंधन कार्यवाई के नाम पर क्यों कर रहा लीपापोती
सूत्रों के मुताबिक इस समय सोशल मीडिया की सुर्खियों में सोडा फैक्ट्री के मैनेजर अविनाश वर्मा एवं ज्ञानी साहब का नाम भी सामने आ रहा है आकाश गुप्ता और सुरेन्द्र की वाइस रिकार्डिंग में भी ज्ञानी के नाम की चर्चा है जिसमें साफ तौर पर यह कहा गया है कि अभी आपका काम नहीं हुआ है वहीं फुफा ने भी पैसा लेने के लिए कोई भी कसर नहीं छोड़ी अब सवाल यह भी उठता है कि हर बार बेरोजगारों को अप्रेंटिसशिप के नाम पर इन भ्रष्टाचारियों को पैसा देना पड़ता होगा ये खेल कितने सालों से चलता आ रहा है ये तो जाँच के बाद ही पता चल पायेगा इस फैक्ट्री में कई ऐसे मामले हैं जो दफन होकर रह गये हैं चंद ऊपर बैठे अधिकारियों को क्या इस बात की भनक तक नहीं लगती ये संभव नहीं है छोटे अधिकारियों को जबरन किसी भी बात का मुद्दा बना कर उनसे रिजाइन करने को कहकर दबाव बना फैक्ट्री से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है प्रबंधन आडिट के नाम पर ठेकेदारों के साथ कैसा खेल खेलती है प्रबंधन ने हर तरफ शतरंज का मायाजाल फैला रखा है जिसमें प्यादे ही पूरा खेल सम्भाल लेते हैं ।
और क्या है दफन पड़े ऐसे राज, जिसे हम जल्द बाहर लेकर आयेंगे ।
सोशल मीडिया की सुर्खियाँ बटोरते ये शब्द
(इन दिनों सोडा फैक्ट्री के घोटालों की चर्चा चारो ओर है जिसमे शैलेश सिंह अरविन्द शुक्ला आदि अधिकारियो को दोषी बता कर उनसे रिजाइन लेने की प्रक्रिया ओरिएंट पेपर मिल प्रबंधन द्वारा किया जा रहा है ,जबकि असल घोटाले बाज़ सोडा फैक्ट्री का जनरल मैनेजर अविनाश वर्मा जो वास्तविक दोषी है अभी तक पाक साफ़ बचता चला जा रहा है ,मैनेजर के नाक के नीचे हो रहे सभी काम मैनेजर के बिना हस्ताक्षर कैसे संभव है ,जहाँ छोटे से छोटे काम में भी मैनेजर के साइन लगते हो वहां इन छोटे कलाकारों जिनमे अरविन्द शुक्ला एवं शैलेश सिंह जैसे छोटे अधिकारियों को फँसा कर खुद का बचाव करते हुए इन दोनों व्यक्तियों को फँसाते जा रहे हैं जनरल मैनेजर अविनाश वर्मा को यह नहीं पता की प्रबंधन की तीसरी नज़र इन पर भी हैं /भगवान के घर देर है अंधेर नहीं वर्मा जी)
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